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ग्रामीण पत्रकारिता में डॉक्यूमेंटेशन बड़ी प्रक्रिया, संवेदनशील बनें पत्रकारः प्रताप सोमवंशी

वरिष्ठ पत्रकार डा. अनिल द्वारा ‘ग्रामीण पत्रकारिता’ पर लिखित पुस्तक का हिंदुस्तानी एकेडमी में हुआ लोकार्पण

प्रयागराज. नेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट आथर एंड मीडिया के संयोजन में डा. अनिल कुमार मिश्र लिखित पुस्तक ‘ग्रामीण पत्रकारिता : सरोकार और सवाल’ का लोकार्पण रविवार को हिंदुस्तानी एकेडमी में किया गया। इस दौरान हुई विचार गोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार प्रताप सोमवंशी ने कहा, संवेदनशील होना ही किसी भी पत्रकार का मौलिक कर्तव्य है।

विदर्भ (महाराष्ट्र) के किसानों की आत्महत्या का उदाहरण देते हुए प्रताप सोमवंशी ने कहा कि ग्रामीण पत्रकारिता में डॉक्यूमेंटेशन बहुत बड़ी प्रक्रिया है। तथ्यों और साक्ष्यों के साथ जुटाए जाने पर महाराष्ट्र सरकार को भी आधिकारिक रूप में किसानों द्वारा आत्म हत्या किया जाना (न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद) स्वीकार किया गया।

उन्होंने कहा कि किसान आत्महत्या करते हैं, लेकिन उसको सरकार नहीं मानती है और मृत्यु के दूसरे कारण बताती है। इसी प्रकार दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से आज तक ग्रामीण महिलाओं की आत्महत्या को किसानों से नहीं जोड़ा गया। जबकि आत्महत्या करने वाली महिलाएं घरेलू परेशानियों और कभी उपज के कम होने या सही मूल्य न मिलने की हताशा में आत्महत्या करती हैं।

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हिंदुस्तानी एकेडमी, सिविल लाइंस में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इतिहासकार प्रोफेसर हेरंब चतुर्वेदी ने सभागार में लगी पहली तस्वीर अकबर इलाहाबादी का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी यह लाइन ‘खींचो ना कमानो को न तलवार निकालो, जब तोप मुकाबिल हो अखबार निकालोइस लिहाज से पत्रकारिता आज भी बड़ी से बड़ी शक्ति का सामना कर सकती है। उन्होंने कहा कि गांव की यात्रा करना ही वास्तविक भारतीय यात्रा है, जिसका चित्रण करना हर पत्रकार का दायित्व है।

बतौर विशिष्ट अतिथि प्रवीण शेखर ने कहा कि यह पुस्तक पत्रकार के अनुभवों के संकलन का एक दस्तावेज है। ग्रामीण समाज की पत्रकारिता लोक भाषा, लोक जीवन, लोकगीत, खानपान, रीति रिवाज की संकलित झांकी है। शोधपूर्ण यह पुस्तक ग्रामीण जीवन के प्रति लगाव का प्रतिफल है। प्रकाशित पुस्तक में देश के चुनिंदा पत्रकारों का साक्षात्कार इस पुस्तक को जीवंत करती है। इसके पूर्व बोलते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अमितेश कुमार ने पुस्तक की वृहद मीमांसा की। उन्होंने कहा कि पुस्तक में पत्रकारों की बुनियादी समस्याओं को उठाने के साथ ही समाधान भी दिया गया है।

अमितेश ने कहा कि ग्रामीण पत्रकारिता के लिए रिपोर्टिंग करना शहरी मापदंडों से अलग है और उस कला को सीखना पड़ेगा। अमितेश ने कहा कि पुस्तक में लिखी आधार सामग्री यथार्थ में गांव के हित के लिए है, जो लोगों को विपरीत लगती है। आर्थिक असुरक्षा के कारण भी सही रिपोर्टिंग नहीं हो पा रही है।

कवि एवं साहित्यकार यश मालवीय ने कहा कि इस पुस्तक के आने से उन सबका मान बढ़ा है। उन्होंने कैलाश गौतम की यह कविता सुनाते हुए कटाक्ष किया कि -गांव गया था, गांव से भागा। यश ने यथार्थ का चित्रण करते हुए प्रताप सोमवंशी की कविता- हरा एक पेड़ काटा जा रहा है उसे प्रतिशत में बांटा जा रहा है, का जिक्र करते हुए कहा कि पत्रकारों का दायित्व सरकार के विरुद्ध खड़े रहना है। यश ने प्रताप सोमवंशी की कविता के जरिए उम्मीद जताई की -उम्मीदों के पंछी के पर निकलेंगे, मेरे बच्चे मुझसे बेहतर निकलेंगे। यश ने प्रताप सोमवंशी को दूसरी पीढ़ी के पत्रकारों को तैयार करने के लिए और आगे बढ़ाने के लिए धन्यवाद भी दिया।

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इसी क्रम में डा. रुचि मीतल ने गांव से शहरों में पढ़ने आने वाले बच्चों की परेशानियों का जिक्र किया और कहा कि इस गैप को बांटने के लिए विद्यार्थी कैसा जोखिम उठाते हैं, इस विषय पर बात नहीं होती है।

प्रारंभ में फेडरेशन के अध्यक्ष ब्रजेंद्र प्रताप सिंह ने अतिथियों और उपस्थित जनों का स्वागत किया। फेडरेशन द्वारा समस्त अतिथियों का बुके, अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन पुस्तक लेखक डा. अनिल कुमार मिश्र ने किया और आभार प्रदर्शन नेशनल व्हील्स के संपादक और फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष रणविजय सिंह ने किया।

कार्यक्रम में श्रृंगवेरपुर साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष डा. भृगु कुमार मिश्र, श्रृंगवेरपुर धाम प्रेस एवं पत्रकार परिषद के अध्यक्ष गोपाल पांडेय, डेटा एक्सपर्ट न्यूज के आफताब अहमद, भाजपा नेता शिवप्रसाद मिश्र, अनिरुद्ध ओझा, एजी ऑफिस के ऑल इंडिया नेता प्रमोद कुमार मिश्र, मनोज पांडेय, राजमणि शास्त्री, आरती मालवीय एडवोकेट मोनिका आर्य, कृष्णम पांडेय, रामनरेश त्रिपाठी, विजय प्रकाश मिश्र, प्रभुशंकर शुक्ल, ललित त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।

 

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