मजलिस में शहादत का बयान सुन आंसू बहा रहे अजादार
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). करबला के शहीदों के ग़म में दो माह और आठ दिनों तक ग़मज़दा रहकर मजलिस मातम में अज़ादार शिद्दत से शिरकत करते हुए ग़म मना रहे हैं। माहे सफर उल मुज़फ्फर के दिनों में हर तरफ अशरा-ए-अरबईन की मजलिसें हो रही हैं तो कहीं-कहीं सालाना मजलिसों का आयोजन हो रहा है। इसी क्रम में प्रीतमनगर में फुटबाल प्रशिक्षक शादाब रज़ा के आवास पर सालाना मजलिस का आयोजन किया गया।
मजलिस में शहंशाह सोनवी व सनी हैदर ने ग़मगीन मर्सिया पढ़ा। मौलाना ज़ायर नक़वी ने क़ुरान व हदीस की रौशनी में अहलेबैत ए अतहार का तज़केरा किया। ग़मगीन मसाएब भी पढ़े। अंजुमन गुंचा ए क़ासिमया के नौहाख्वान शादाब एम ज़मन, अस्करी अब्बास, ज़हीर अब्बास, यासिर ज़ैदी, ऐजाज़ नक़वी, कामरान रिज़वी, अकबर रिज़वी, ज़ीशान, कुमैल, हैदर, रज़ा, वसीम, ज़ीशान हैदर भदौरवी आदि ने शायर तालिब इलाहाबादी व ज़ीशान का लिखा नौहा पढ़ा तो हर आँखें नम हो गईं।
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वहीं रानी मंडी चकय्या नीम स्थित नवाब नन्हे की कोठी में नवाब असग़र अब्बास की ओर से आयोजित अशरा ए मजालिस अंजुमन गुंचा ए क़ासिमया बख्शी बाज़ार ने शिरकत करते हुए नौहा और मातम का नज़राना पेश। दायरा शाह अजमल में स्व. हसन अस्करी के अज़ाखाने में महिलाओं की दस दिवसीय अशरा ए मजालिस का आग़ाज़ शुक्रवार से हो गया। मुंतजिम शैज़ी सय्यदा के अनुसार प्रत्येक दिन रात आठ बजे से मजलिस की शुरुआत हो गई है। शहर की मशहूर महिला मर्सियाख्वान व ज़ाकिरा व नौहाख्वानों के द्वारा ज़िक्रे शोहदा ए करबला लगातार 19 सफर तक जारी रहेगा। यह जानकारी सैय्यद मोहम्मद अस्करी ने दी।