स्थापना दिवस पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने की शस्त्र पूजा
गांवों से गायब हो रहे रामलीला मैदानः क्षेत्र प्रचारक अनिल
इंडोनेशिया जैसे देश में गैर हिंदी करते हैं रामलीला का मंचन
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ खंड शंकरगढ़ (जिला यमुनापार) ने विजयादशमी उत्सव के मौके पर शस्त्र पूजन किया। विजयादशमी उत्सव के मौके पर क्षेत्र प्रचारक अनिल ने भारतवर्ष की महानता और भारतवर्ष की परंपराओं का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि हजारों वर्ष से चली आ रही रामलीला की परंपरा आगे लाखों वर्ष तक चलती रहेगी, जिस पर अब कुठाराघात किया जा रहा है।
कहा, हमारे भारतवर्ष के हर नगर ग्राम में कोई ना कोई रामलीला मैदान हुआ करता था, जहां हम अपने गांव रामलीला का मंचन किया करते थे, परंतु वर्तमान समय पर हमारे यहां रामलीला मैदान को समाप्त किया जा रहा है और रामलीला का आयोजन बंद किया जा रहा है। यह एक प्रकार से हमारी संस्कृति पर कुठाराघात है। अगर हम अपने आदर्श श्रीरामचंद्र की रामलीला का मंचन छोड़ देंगे तो आने वाली पीढ़ियां उनके बारे में बहुत कुछ नहीं जान पाएंगीं और हम अपनी संस्कृति को धीरे-धीरे भूलाते चले जाएंगे।
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उन्होंने बताया कि इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम बाहुल्य देश में, जो पूर्ण रूप से मुस्लिम देश है, वहां भी रामलीला का मंचन किया जाता है। वहां मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग ही रामलीला का मंचन करते हैं और अपनी ही जुबान में बताते हैं कि रामलीला का मंचन करके एक सुखद अनुभूति प्राप्त होती है। हम भगवान रामचंद्र और हनुमान जैसे तो नहीं बन सकते, लेकिन कुछ समय के लिए ही उनके जैसे आदर्शों के मन में धारण करके हम अपने जीवन में कुछ न कुछ सुधार जरूर ला ही सकते हैं।
कहा, विजयादशमी उत्सव हमारे आदर्श श्रीरामचंद्र के जीवन आदर्शों को मन में धारित करने का एक उत्सव है। हम प्रतिवर्ष दशहरा मनाते हैं, तो उसके पीछे यही कारण है कि हम अपने आराध्य भगवान श्रीराम को अपने मन में संजोकर रखें और अपनी संस्कृति को अक्षुण्य रखें। रामलीला में रावण का किरदार हमें यही बताता है कि हम कितने भी विद्वान हों, हम कितने भी कुलीन वर्ग से हों, लेकिन राक्षसी प्रवृत्ति धारण करने से हमारा सर्वनाश निश्चित होगा।
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विजयदशमी को हुई संघ की स्थापनाः उन्होंने बताया कि 1925 में विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई और आज हम 97 वर्ष पूर्ण कर चुके हैं और अपने स्थापना वर्ष की शताब्दी वर्ष की ओर बढ़ रहे हैं। हम स्वयंसेवकों का दायित्व बनता है कि अपने भारतवर्ष के प्रत्येक गांव में संघ की विचारधारा को संघ की शाखा को पहुंचाकर इस शताब्दी वर्ष को सफल बनाएं। हम फिर से विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त कर सकेंगे। शंघाई स्थापना के संबंध में सुभाष बाबू को याद करते हुए उन्होंने बताया कि जब डॉक्टर हेडगेवार सुभाष बाबू के पास जाते हैं और उन्हें इस संगठन के स्थापना के बारे में बताते हैं, तो वह कहते हैं कि आपके विचार तो अच्छे हैं, काम अच्छा है लेकिन यह असंभव है।
सपने को पूरा करने की जिम्मेदारी हमारीः डॉ हेडगेवार ने जिस उद्देश्य को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी, अब उस सपने को पूरा करने की जिम्मेदारी हम सभी स्वयंसेवकों की है। इस अवसर पर प्रमुख रूप से सहजिला संघचालक विनोद सिंह, जिला सह कार्यवाह शिवेंद्र, आशुतोष जी खंड प्रचारक, मुकेश जी जिला बौद्धिक प्रमुख, खंड संघचालक सूर्यकांत, खंड कार्यवाह नरेंद्र गुप्ता, अवधेश, खंडसेवा प्रमुख प्रेमचंद्र, खंड शारीरिक शिक्षण प्रमुख रमेश, मुख्य शिक्षक दीपक, व्यापार मंडल अध्यक्ष मूलचंद, रामानुज, सुनील, अनूप, रोहित, अनिल, सुजीत, अरुण, सुधा गुप्ता, मनोज और दिवाकर सिंह समेत तमाम स्वयंसेवी मौजूद थे।