ब्रिटिश काल के नियमों को त्याग भारतीय संस्कृति और परंपराओं के अनुसार धर्म पालन करेः जस्टिस पीके श्रीवास्तव
उत्तर प्रदेश लॉ कमीशन के चेयरमैन Justice PK Srivastava का तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी की लीडरशिप टाक सीरीज के सेशन-03 में संविधानवाद और शिक्षा प्रणाली पर व्याख्यान
मुरादाबाद (the live ink desk). उत्तर प्रदेश लॉ कमीशन (Uttar Pradesh Law Commission) के चेयरमैन जस्टिस पीके श्रीवास्तव बोले, यह समय की दरकार है, सोशल जस्टिस और इक्विलिटी को लेकर शिक्षा को आगे बढ़ना होगा। उन्होंने एनईपी-2020 की वकालत करते हुए कहा, इसके क्रियान्वयन को गुड टीचर्स, गुड टीचिंग मेथड्स, डिफरेंट फोरम्स, फॉरेन फैकल्टीज़ और अधिक से अधिक प्रैक्टिकल टीचिंग पर बल देना आवश्यक है। उन्होंने संविधान की महत्ता पर जोर देते हुए कहा, संविधान की प्रस्तावना को क्लासेज़ और कॉरिडोर में लगाने से ही संविधानवाद को बढ़ावा मिलेगा।
भारतीय संविधान के पंथनिरपेक्षता पर Justice PK Srivastava ने कहा, आज हर व्यक्ति को अपने मूल कर्तव्यों को ध्यान में रखते हुए देश में समरसता और भाईचारे को बढ़ाने की जरूरत है। जस्टिस श्रीवास्तव ने महिलाओं के विरूद्ध अपमानजनक कृत्यों को त्यागने की पुरजोर वकालत की। जस्टिस पीके श्रीवास्तव (Justice PK Srivastava) तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी (Tirthankar Mahaveer University) की लीडरशिप टाक सीरीज के सेशन-03 में संविधानवाद और शिक्षा प्रणाली पर आयोजित गेस्ट लेक्चर में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।
Tirthankar Mahaveer University में अपने सवा घंटे के सारगर्भित संबोधन में उन्होंने कहा, सभी को कानून की जानकारी आवश्यक है। कानूनी पेशे को मेडिकल पेशे से तुलना करते हुए कहा, जिस प्रकार डॉक्टर अपने मरीज का रोग दूर करता है ठीक वैसे ही कोई भी कानूनविद् अपने कानूनी दाव-पेंच से अपने मुवक्किल को राहत दिलाते हैं। ऐसे में वकीलों को संविधान के प्रति संजीदा रहना चाहिए। हर विद्यार्थी को भी संविधान की बेसिक जानकारी होनी चाहिए, चाहे स्टुडेंट्स किसी भी स्ट्रीम के हों। स्वतंत्रता सेनानियों समेत सभी वरिष्ठों के प्रति आदर का भाव रखना चाहिए। नौकरशाहों को अपनी मानसिकता को बदलना होगा। उन्हें अपने आप को राजा नहीं, बल्कि जनता का सेवक समझना चाहिए।
धर्म और न्याय पर कहा, ब्रिटिश काल के नियमों को त्यागते हुए हमें भारतीय संस्कृति और परंपराओं के अनुसार धर्म और न्याय का पालन करना चाहिए। सामाजिक और मानवीय विकास की खातिर शांति, न्याय और सुरक्षा अनिवार्य हैं। स्वर्णिम भविष्य के लिए एनईपी-2020 के तहत आजकल छात्रों को दोहरी डिग्री की छूट है। वे इसका ईमानदारी से लाभ लें। छात्रों को उच्च शिक्षा के संग-संग समाज और परिवार के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए।
डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन ने शिक्षा प्रणाली में संविधान की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों से संविधान के मूल्यों को आत्मसात करने का आहवान किया। तीर्थंकर महावीर कॉलेज ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज़ के डीन प्रो. हरबंश दीक्षित ने जस्टिस श्रीवास्तव से अपने 32 साल के रिश्तों को साझा करते हुए कहा, जस्टिस पीके श्रीवास्तव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीश के कार्यकाल में 200 से भी अधिक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाए हैं। ये फैसले संदर्भित केसों में दर्ज हैं। यह अति महत्वपूर्ण फैसले कानून के विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए मील का पत्थर साबित हो रहे हैं।
अंत में रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा ने मुख्य वक्ता समेत सभी का आभार व्यक्त किया। लीडरशिप टाक सीरीज में फैकल्टीज़ ज्वाइंट रजिस्ट्रार रिसर्च डा. ज्योति पुरी, फिजियोथैरेपी की एचओडी प्रो. शिवानी एम. कौल, फाइन आर्ट्स के प्रिंसिपल डा. रवींद्र देव, फैकल्टी ऑफ एजुकेशन की प्राचार्या प्रो. रश्मी मेहरोत्रा, पैरामेडिकल के वाइस प्रिंसिपल प्रो. नवनीत कुमार, डा. मनीष यादव, डा. प्रवीन कुमार मल्ल, डा. सुशीम शुक्ला, डा. अमित वर्मा, डा. कृष्ण मोहन मालवीय, डा. करिश्मा अग्रवाल, डा. ताराचन्द्र, डा. प्रदीप कश्यप, डा. बीआर मौर्य, योगेशचंद्र गुप्ता, डालचंद्र गौतम, बिष्णानंद दुबे, सौरभ बटार, अरणो राज सिंह मौजूद रहे।