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आखिर कब तक तरसेगा भदोही: प्रयागराज में चार पुल और भदोही को एक भी नहीं!

जनपद की भौगोलिक स्थिति, जरूरतों को देखते हुए कम से कम एक पक्का पुल तो बनता ही है

भदोही (संजय मिश्र). वैसे तो जरूरतें अनंत होती हैं। एक पूरी होती हैं, तो दूसरी की तलब लगने लगती है। पर, कुछ जरूरतें बेहद जरूरी होती हैं, जिसके पूरा होने पर बड़ा असर होता है। यहां, हम भदोही जिले की उस जरूरत की बात कर रहे हैं, जिसकी आवश्यकता पिछले दो दशक से बड़ी शिद्दत से महसूस की जा रही है। गंगा से घिरे जिले के दक्षिणी छोर (अंतिम छोर) पर कम से कम एक पक्का पुल तो बनता ही है। इस पुल के बनने से न सिर्फ भदोही बल्कि कई जनपदों के लोगों को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) से जुड़ने का सीधा रास्ता मिल जाएगा, जो अभी तक वाया मिर्जापुर और अति व्यस्त शहर प्रयागराज का सहारा लेते हैं।

पूरब में बनारस (Banaras), पश्चिम में प्रयागराज (Prayagraj), उत्तर में जौनपुर (Jaunpur) और दक्षिण में मिर्जापुर (Mirzapur) से घिरे भदोही (Bhadohi) जनपद का पूरा दक्षिणी हिस्सा गंगा के तट पर बसा हुआ है। प्रयागराज में एनएच-2 (NH-2) पर बने पक्के पुल के बाद दूसरा पक्का पुल मिर्जापुर जनपद में पड़ता है। इन दोनों पुलों के बीच की दूरी 100 किमी से भी अधिक है। फौरी तौर पर मिर्जापुर और प्रयागराज के बीच आबाद एक बड़ी आबादी को गंगा के इस पार से उस पार आवागमन के लिए लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा आधा दर्जन पीपे के पुलों (pontoon bridge) की सुविधा प्रदान की जाती है, लेकिन यह अस्थाई सुविधा सभी प्रकार की जरूरतों को पूरा नहीं करती।

 Dengurpur-Dhantulsi Ghat: दो दशक से अपने पक्के पुल के इंतजार में कोनिया के लोग
 तूफान में टूट गया डेंगुरपुर गंगा घाट पर बना पीपे का पुल, आवागमन ठप

भदोही जनपद में एक पीपे का पुल (pontoon bridge) रामपुर घाट, तो दूसरा सीतामढ़ी गंगा घाट पर बनाया जाता है। इसके अलावा तीसरा धनतुलसी-डेंगुरपुर घाट (Dhantulsi Dengurpur Ghat) पर बनता है, जो मौजूदा समय में टूटा हुआ है। कुछ आगे बढ़ने पड़ने पर भदोही की पश्चिमी सीमा प्रयागराज से लगने लगती है। धनतुलसी-डेंगुरपुर घाट (Dengurpur Ghat) के बाद टेला घाट, सिरसा कछार (प्रयागराज) और दुमदुमा घाट (प्रयागराज) में पीपे के पुल (pontoon bridge) का निर्माण किया जाता है। ताकि गंगा के दोनों तटों पर (कछारी क्षेत्र) बसी आबादी को आवागमन में कोई असुविधा न हो। कुल मिलाकर भदोही और प्रयागराज के बीच गंगा नदी पर आधा दर्जन पीपे के पुल बनाए जाते हैं।

भदोही जनपद में कोनिया क्षेत्र में धनतुलसी-डेंगुरपुर घाट (Dhantulsi Dengurpur Ghat) और रामपुर घाट पर पक्के पुल की डिमांड एक लंबे अरसे से की जा रही है। भदोही जिले में स्थित रामपुर घाट दक्षिण-पूर्व की तरफ पड़ता है, जहां से मिर्जापुर में बने पक्के पुल की दूरी लगभग 20 किलोमीटर के आसपास है। लेकिन, धनतुलसी-डेंगुरपुर घाट (Dhantulsi Ghat, Konia) दोनों जनपदों (प्रयागराज-मिर्जापुर) के लगभग मध्य में पड़ता है। कोनिया के नाम से अपनी पहचान रखने वाला यह इलाका तीन तरफ (पूरब, पश्चिम और दक्षिण) से गंगा नदी से घिरा हुआ है।

इस एरिया (Dengurpur Dhantulsi Ghat) के लोगों को अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने अपने पड़ोसी जनपद प्रयागराज (गंगा के पार भारतगंज, मांडा) जाना ज्यादा आसान है, क्योंकि यहां (कोनिया) से भारतगंज की दूरी महज 10-12 किमी के आसपास पड़ती है और यदि यहां के लोग अपने जनपद की बड़ी बाजारों की तरफ जाना चाहें तो कोई भी बाजार 35-40 किमी से कम के फासले पर नहीं है।

प्रयागराज में चार पुल और भदोही को एक भी नहींः अब बात करते हैं भदोही के पूरब और पश्चिम में बसे प्रयागराज में गंगा नदी पर बने (निर्मित) और निर्माणाधीन पक्के पुलों की, तो प्रयागराज इस मामले में काफी धनी है। प्रयागराज में दो पक्के पुल पहले से मौजूद हैं। इसमें एक पुल फाफामऊ में चंद्रशेखर आजाद सेतु के नाम से जाना जाता है। जबकि दूसरा पुल गोल्डेन कारीडोर पर बना है। जिसे हंडिया-कोखराज बाईपास के नाम से लोग जानते हैं। इसके अलावा थोड़ा और पश्चिम में बढ़ने पर मानिकपुर (प्रतापगढ) में दो लेन का एक और पक्का पुल है। इससे अलग, प्रयागराज के फाफामऊ में फोर लेन का एक पक्का पुल निर्माणाधीन है और दूसरा पक्का राम वनगमन मार्ग पर बनने के लिए प्रस्तावित है।

इसके आगे पूरब में स्थित बनारस (Banaras) की बात करें तो दक्षिण-पूर्ण की सीमा पर एक पुल मिर्जापुर (एनएच 135ए) में स्थित है। जबकि दूसरा पक्का पुल एनएच19 (NH-19) पर साल्हूपुर तो तीसरा पक्का पक्का पुल पक्का पुल एनएच 44 (NH-44) पर नमो घाट/खिड़किया घाट (Namo Ghat) पर बना हुआ है। अब देखना यह है कि भदोही के जनप्रतिनिधियों द्वारा पिछले दो दशक से किया जा रहा प्रयास कब तक पूरा होता है।

कालीननगरी में ‘M’ का आकार बनाती हैं गंगा मैयाः भदोही जनपद में गंगा नदी एम का आकार बनाती हैं। प्रयागराज में संगम क्षेत्र से निकलने के बाद गंगा का स्वरूप विकराल हो जाता है। यहां पर गंगा दो हिस्से में विभक्त हो जाती हैं और इसके बाद सिरसा घाट तक गंगा काफी फैलाव में हैं। जबकि सिरसा घाट के बाद यू आकार लेते हुए गंगा नदी धनतुसी-डेंगुरपुर घाट तक पहुंचती हैं।

यहां से एक बार फिर गंगा नदी यू आकार में मुड़कर सेमराध नाथ धाम तक का सफर तय करती हैं। सेमराध नाथ धाम के बाद गंगा फिर से यू आकार लेते हुए (वाया केदारनाथ टेंपल) विंध्याचल (मिर्जापुर) तक पहुंचती हैं। प्रयागराज से मिर्जापुर तक पहुंचने में कुल चार बार यू का आकार बनाती हैं। गंगा की यह आकृति गूगल मैप पर आसानी से देखी जा सकती है। इसके अतिरिक्त सेमराध नाथ धाम, कोनिया (धनतुलसी-डेंगुरपुर घाट) में गंगा का कछार काफी बड़े आकार का है।

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