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नेहरू की सीट से रामपूजन पटेल ही लगा पाए हैट्रिक, सपा भी लगातार चार बार जीतने में रही कामयाब

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). देश को पहला प्रधानमंत्री देने वाली फूलपुर लोकसभा सीट से रामपूजन पटेल ही इकलौते ऐसे सांसद रहे, जिन्हे हैट्रिक लगाने का मौका मिला। हालांकि, एक दल के रूप में कांग्रेस के बाद समाजवादी पार्टी को ही चार बार लगातार जीतने का मौका मिला।

पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) की सीट फूलपुर (Phulpur Lok Sabha) से देश के प्रधानमंत्री रह चुके विश्वनाथ प्रताप सिंह, विजय लक्ष्मी पंडित, कमला बहुगुणा के अलावा बाहुबली अतीक अहमद को भी सफलता मिल चुकी है। उत्तर प्रदेश के मौजूदा डिप्टी सीएम केशवप्रसाद मौर्य भी यहां से सांसद चुने जा चुके हैं।

लोकसभा चुनाव 2024 के चार चरण बीत चुके हैं। पांचवें चरण की वोटिंग 20 मई को होगी। इसमें उत्तर प्रदेश की कुल 14 लोकसभा सीटों पर चुनाव होना है, जबकि प्रयागराज की दोनों लोकसभा सीटों (इलाहाबाद और फूलपुर) पर छठवें चरण में 25 मई को वोट डाले जाएंगे।

अब बात करते हैं यहां से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचने वाले जनप्रतिनिधियों की तो फूलपुर (Phulpur Lok Sabha) की जनता ने रामपूजन पटेल के अलावा किसी अन्य को हैट्रिक लगाने का मौका नहीं दिया। रामपूजन पटेल ने 1984 में फूलपुर लोकसभा सीट से पहला चुना लड़ा था। इसके बाद वह 1989 और 1991 के चुनाव में भी यहां से सांसद चुने गए।

इससे इतर, लगातार दो बार जीत दर्ज करने वालों में सिर्फ दो लोगों का नाम शामिल है। पहला नाम है विजयलक्ष्मी पंडित का। विजयलक्ष्मी पंडित स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ कुशल राजनीतिज्ञ भी थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) की बहन विजयलक्ष्मी पंडित ने साल 1964 में फूलपुर से पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता। इसके बाद 1967 में फिर से वह यहीं से सांसद बनीं।

लगातार दो बार जीतने वालों में दूसरू नाम जंगबहादुर पटेल का है। समाजवादी पार्टी के बैनर तले जंग बहादुर पटेल ने साल 1996 और फिर 1998 में फूलपुर लोकसभा का चुनाव जीता। फूलपुर से हैट्रिक लगाने वाले रामपूजन पटेल, दो बार चुनाव जीतने वाली विजय लक्ष्मी पंडित और जंग बहादुर पटेल के अलावा किसी को भी फूलपुर से लगातार जीतने का सौभाग्य नहीं मिला।

फूलपुर लोकसभा (Phulpur Lok Sabha) सीट पर तीन उपचुनावों के साथ अब तक 20 बार चुनाव हो चुका है। 1952 से लेकर 1967 तक यह सीट लगातार कांग्रेस के पास रही। इस दौरान पांच लोकसभा चुनाव हुए। साल 1969 में यहां से छोटे लोहिया के नाम से मशहूर जनेश्वर मिश्र ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के कैंडीडेट के रूप में चुना जीता।

1971 में विश्वनाथ प्रताप सिंह कांग्रेस के सिंबल पर सांसद चुने गए। इसके बाद 1977 में जनता पार्टी से कमला बहुगुणा को यहां की जनता का प्यार मिला। जबकि 1980 में जनता पार्टी (सेक्युलर) से बीडी सिंह लोकसभा पहुंचने में कामयाब रहे।

1984 के चुनाव में फूलपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने वापसी की और हैट्रिक लगाने वाले रामपूजन पटेल पहली दफा सांसद बने। हालांकि इसके बाद 1989 और 1991 में हुए चुनाव में रामपूजन पटेल ने कांग्रेस को छोड़कर जनता दल से चुनाव लड़ा। इस समय तक उत्तर प्रदेश की राजनीति में बसपा और सपा का प्रभाव बढ़ रहा था। 1996 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने फूलपुर से अपना प्रत्याशी उतारा।

जंग बहादुर पटेल ने सभी दलों को पीछे छोड़ते हुए साइकिल दौड़ा दी। इसके बाद अगले चुनाव (1998) में भी जंग बहादुर पटेल मैदान फतह करने में कामयाब रहे। हालांकि, 1999 के चुनाव में सपा ने जंगबहादुर पटेल से किनारा करते हुए धर्मराज पटेल को टिकट दिया और धर्मराज पटेल सांसद बनने में कामयाब रहे।

2004 में एक बार फिर सपा ने फूलपुर सीट से अपना प्रत्याशी बदला और बाहुबली अतीक अहमद टिकट दिया। अतीक अहमद फूलपुर सांसद चुने गए। इससे इतर, यूपीए के दूसरे कार्यकाल 2009 में बसपा को यहां से खाता खोलने का मौका मिला और करवरिया फेमिली से कपिलमुनि करवरिया को सांसद बनने का मौका मिला।

इसका बाद समय आया एनडीए का। पूर्ण बहुमत के साथ 2014 में सत्ता में आई भाजपा सरकार ने फूलपुर से केशवप्रसाद मौर्य को टिकट दिया और वह सांसद बने। 2018 में हुए उपचुनाव में यह सीट एनडीए के खाते से निकलकर समाजवादी पार्टी के पास चली गई। हालांकि, समाजवादी पार्टी को एक साल बाद हुए 2019 के चुनाव में यहां से पराजय देखनी पड़ी और भाजपा की केशरी देवी पटेल सांसद चुनी गईं।

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