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समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन, UP में तीन दिन का राजकीय शोक

लखनऊ (the live ink desk). उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के नेताजी अर्थात समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Samajwadi Party Patron Mulayam Singh Yadav) का सोमवार को निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्हे गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital) में भर्ती करवाया गया था। 82 वर्षीय मुलायम सिंह यादव के निधन के साथ ही उत्तर प्रदेश की राजनीति के एक युग का भी अंत हो गया। वह उत्तर प्रदेश के तीनबार मुख्यमंत्री (Chief Minister) और एक बार रक्षा मंत्री (Defense Minister) भी रहे। मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन पर पूरे प्रदेश में शोक की लहर है।

यूरिन संक्रमण, ब्लड प्रेशर और सांस लेने की समस्या से जूझ रहे मुलायम सिंह यादव की तबियत ज्यादा खराब होने पर बीते सोमवार को उन्हे मेदांता के आईसीयू में शिफ्ट किया गया था। बीते दो-तीन दिन से उनकी हालत ज्यादा गंभीर होती जा रही थी। रविवार की शाम उनकी हालत ज्यादा क्रिटिकल हो गई थी। सोमवार की सुबह उन्होंने मेदांता में आखिरी सांस ली।

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मुलायम सिंह यादव का इलाज मेदांता समूह के डायरेक्टर डा. नरेश त्रेहान कर रहे थे। मुलायम सिंह यादव के अस्पताल में भर्ती होने के बाद से देशभर से विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं का मेदांता आनाजाना लगा हुआ था। एक दिन पहले ही कुंडा के विधायक रघुराज सिंह ने मेदांता पहुंचकर मुलायम सिंह का हाल-चाल जाना था। मुलायम सिंह के निधन पर तमाम दिग्गज नेताओं ने शोक संवेदना व्यक्त की है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।

मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर, 1939 को इटावा जनपद के सैफई गांव में हुआ था। किसान के बेटे मुलायम सिंह यादव मौजूदा समय में मैनपुरी सीट से सांसद हैं। मुलायम सिंह यादव आठ बार विधायक और सात बार लोकसभा सांसद भी चुने जा चुके हैं।

सीएम ने अखिलेश यादव को किया फोनः मुलायम सिहं यादव के निधन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को फोन कर शोक व्यक्त किया। योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्वीट में कहा, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का निधन अत्यंत दुखदायी है। उनके निधन से समाजवाद के एक प्रमुख स्तंभ एवं संघर्षशील युग का अंत हो गया है। ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति की कामना और शोकाकुल परिवार व समर्थकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं।  इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। योगी आदित्यनाथ ने कहा उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

मुलायम सिंह यादव की प्रतिभा को सबसे पहले प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के नेता नाथू सिंह ने पहचाना। जिन्होंने 1967 के विधानसभा चुनाव में जसवंत नगर विधानसभा सीट का टिकट मुलायम सिंह यादव को दिलवाया था। उस समय मुलायम सिंह यादव की उम्र मात्र 28 वर्ष थी और उस चुनाव में मुलायम सिंह यादव यूपी के इतिहास में सबसे कम उम्र के विधायक बने थे।

विधायक बनने के बाद पूरी की पढ़ाईः विधायक बनने के बाद मुलायम सिंह यादव ने परास्नातक की पढ़ाई पूरी की थी। जब 1977 में उत्तर प्रदेश में रामनरेश यादव की अगुवाई में जनता पार्टी की सरकार बनी, तब मुलायम सिंह यादव को सहकारिता मंत्री बनाया गया। उस समय मुलायम सिंह यादव की उम्र मात्र 38 साल थी। उल्लेखनीय है कि चौधरी चौधरी चरण सिंह नरसिंह यादव को अपना राजनीतिक वारिस और अपने बेटे अजीत सिंह को अपना कानूनी वारिस कहा करते थे, लेकिन जब अपने पिता के गंभीर रूप से बीमार होने के बाद अजीत सिंह अमेरिका से वापस भारत लौटे तो उनके समर्थकों ने उन पर जोर डाला कि वह पार्टी के अध्यक्ष बन जाएं, इसके बाद ही मुलायम सिंह यादव और अजीत सिंह में प्रतिद्वंद्विता बढ़ी, लेकिन उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का मौका आखिरकार मुलायम सिंह यादव को ही मिला।

5, सिंतबर 1989 में रुंधे गले से ली थी शपथः  पांच दिसंबर 1989 को मुलायम सिंह यादव को लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई और मुलायम सिंह ने रुंधे गले (लगभग रोते हुए) से कहा था, लोहिया का गरीब के बेटे को मुख्यमंत्री बनाने का पुराना सपना साकार हो गया है। मुख्यमंत्री बनते ही मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश में तेजी से उभर रही भारतीय जनता पार्टी का मजबूती से सामना करने का फैसला किया। उस वक्त मुलायम सिंह यादव के द्वारा कहे गए एक शब्द की बाबरी मस्जिद पर एक परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा, के इस बयान ने उन्हें मुसलमानों के बहुत करीब ला दिया।

1992 में की अपनी पार्टी की स्थापनाः ल्लेखनीय है कि चार अक्टूबर 1992 को मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की। उन्हें लगा कि वह अकेले भारतीय जनता पार्टी का बढ़ता हुआ जन समर्थन नहीं रोक सकते, इसलिए उन्होंने कांशीराम के बहुजन समाज पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन किया। कांशीराम से उनकी मुलाकात दिल्ली के एक होटल में बिजनेसमैन जयंत मल्होत्रा ने करवाई थी। 1993 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 260 में से 109 और बहुजन समाज पार्टी को 163 में से 67 सीटें मिली थीं। भारतीय जनता पार्टी को भारतीय जनता पार्टी को इस चुनाव में 177 सीटें मिलीं और मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस और बीएसपी के समर्थन से उत्तर प्रदेश में दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर अपनी सरकार बनाई थी।

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