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हे परिवहन निगम! भदोही-वाराणसी रूट पर भी नजरें इनायत कर दीजिए

बस डिपो होने के बावजूद वाराणसी के लिए नहीं है एक भी बस, डग्गामार बसों से सफर करने के लिए मजबूर हैं भदोहीवासी

भदोही (अनंत गुप्ता). भदोही नगर पालिका है। यहां पर रोडवेज बस डिपो है। अगर कुछ नहीं है तो बनारस जाने के लिए बसें। भदोही बस डिपो से मिर्जापुर और जौनपुर के लिए नियमित बसों का संचालन होता है, पर उत्तर प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल के लिए एक भी बस नहीं चलती। एक बस वाराणसी कैंट की भदोही बस डिपो आती है, लेकिन वह रात में आती है और सीधे कानपुर के लिए चली जाती है।

जिला मुख्यालय ज्ञानपुर से 15 किलोमीटर के फासले पर स्थित नगर पालिका भदोही, जनपद का सबसे पुराना और बड़ा कस्बा है। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद से भदोही कस्बे का विकास तो हुआ, लेकिन यहां के लोगों को काशी विश्वनाथ जाने के लिए एक अदद बस की सुविधा नहीं मिल पाई। मजबूरी में भदोहीवासियों को वाराणसी जाने के लिए निजी बसों का सहारा लेना पड़ता है, जिसमें लोगों को भूसे की तरह भरा जाता है और मनमानी किराया वसूला जाता है।

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भदोही से चौरी, कपसेठी, जंसा होते हुए वाराणसी जाने वाले लोग लंबे अरसे से इस रूट पर परिवहन निगम की बसों को चलाए जाने की मांग करते आ रहे हैं,  लेकिन रोडवेज बसों के संचालन को लेकर शासन-प्रशासन की ओर से गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। भदोही-वाराणसी मार्ग पर रात्रि में केवल एक ही सरकारी रोडवेज बस चलती है। वह वाराणसी कैंट से वाया भदोही, ज्ञानपुर और गोपीगंज होते हुए कानपुर तक जाती है। रोडवेज बस का लाभ केवल राहगीरों को रात में ही मिल पाता है।

दिन में एक भी रोडवेज बस का संचालन नहीं होता, जिससे बड़ी संख्या में चलने वाले यात्रियों के समक्ष काफी मुसीबत का सामना करना पड़ता है। नागरिकों का कहना है कि जिस तरह रात 11 बजे रोडवेज बस वाराणसी से चौरी तक आती है। उसी तरह अगर दिन में भी दो-चार बसें रोडवेज का चलाई जाएं तो राहगीरों को काफी राहत मिल जाएगी।

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उद्योग व्यापार मंडल अध्यक्ष ताड़कनाथ गुप्ता व व्यवसायी प्रेमचंद मोदनवाल ने कहा कि कालीन नगरी से वाराणसी जाना और आना दोनों महंगा साबित होता है। एक तो अधिक किराया देना पड़ता और दूसरी ओर कैंट की जगह पोल्ट्री फार्म तक  प्राइवेट बसें लोगों को उतार देती हैं। नागरिकों ने परिवहन मंत्री से  उक्त मार्ग पर रोडवेज बस चलाने की मांग की है।

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