NCZCC के मंच पर मानवीय संवेदना की तलाश में नजर आया हर किरदार
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). मानव समाज में रहकर मानवीय संवेदनाओं की तलाश में रहने वाले किन्नर (third gender) की पीड़ा ‘हम क्यूं हैं’ में देखने को मिली। मौका था एनसीजेडसीसी (उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र) की ओर से आयोजित नाट्य प्रस्तुति का। शुक्रवार की शाम संस्था ‘द थर्ड बेल’ रेपर्टरी द्वारा आयोजित नाटक कलाकारों ने समाज के थर्ड जेंडर की विवशताओं को बखूबी मंच दिया। कलाकारों के हर अभिनय पर दर्शक दीर्घा में तालियां बजती रहीं।
थर्ड जेंडर (third gender), वैसे तो हमारे समाज का ही अभिन्न अंग है, लेकिन इस वर्ग को हमेशा मानवीय संवेदनाओं की तलाश ही रहती है । घर, परिवार, समाज से अलग होकर ये अभिशप्त जीवन जीते हैं। इनके विषय में कोई कुछ कहना चाहता है न सुनना। बीती शाम NCZCC के मंच पर लेखक शैलेश श्रीवास्तव और आलोक नायर के सपने में कलाकारों ने जब रंग भरा तो हर कोई अपनी कुर्सी से चिपका रह गया।
समाज की मुख्यधारा से वंचित वेश्या, किन्नर और दिव्यांगजन के इर्द-गिर्द इस नाटक का ताना-बाना बुना गया है। नाटक के जरिए समाज को यह बताने की कोशिश की गई कि यह लोग अपने अस्तित्व की तलाश में कैसे-कैसे संघर्षों का सामना करते हैं, समाज इन्हे किस नजरिए से देखता है और इनके लिए क्या फीलिंग रखता है।
NCZCC के मंच पर किन्नर शिवरंजनी की भूमिका में अमितेश श्रीवास्तव ने अपने अभिनय से सभी को भावुक कर दिया। वहीं दिव्यांग बच्चे मोनू के पात्र को भी खूब सराहना मिली। दिव्यांग बच्चे के रूप में मंच पर राज सिंह ने अपनी अभिनय क्षमता का बखूबी प्रदर्शन किया। इसके अलावा वेश्या रूपाली के रूप में शहर की प्रतिष्ठित रंगकर्मी ऋतिका अवस्थी ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
नाटक का प्रकाश संयोजन सुजय घोषाल, रूप सज्जा संजय चौधरी, वस्त्र विंन्यास श्रेया सिंह, मंच निर्माण वेद प्रकाश तिवारी, हर्ष सूर्यवंशी, सत्यम सिंह राजपूत, हर्षित केसरवानी का रहा। जबकि प्रस्तुति नियंत्रक की जिम्मेदारी हर्षित पांडेय ने निभाई। इस मंचन को NCZCC के निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा समेत सभी अधिकारियों व शहरियों ने सराहा। संचालन अजय गुप्ता ने किया।