ग़ैर की अच्छाइयां जिनको नज़र आती नहीं…
बख्शी बाजार मस्जिद में आयोजित जश्ने शाहे खुरासां में शायरों ने सजाई महफिल
प्रयागराज. अराकीन बज़्मे कलीम के बैनर तले बख्शी बाज़ार मस्जिद क़ाज़ी साहब में जश्ने शाहे खुरासां की महफिल सजाई गई, जिसमें शायरों ने हज़रत इमाम अली रज़ा की यौमे विलादत पर एक से बढ़ कर एक अशआर पेश कर महफिल में चार चांद लगा दिया।
अराकीन बज़्मे कलीम के बैनर तले सजाई गई महफिल का आग़ाज़ मौलाना मोहम्मद ताहिर की तक़रीर से हुआ। ज़मीर इलाहाबादी के संचालन में शायर ज़की अहसन ने पढ़ा- रखे जो क़दम क़ुम में रहमत की घटा छाई, क्यूं हो न खेज़ां रुख्सत नूरानी बहार आई। वहीं इतरत नक़वी ने अपने तास्सुरात का इज़हार करते हुए पढ़ा- ऐ शहंशाहे खुरासां तेरी हिकमत को सलाम, हो रहा है इस सदी में उस सदी का तज़केरा।
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हाशिम बांदवी ने पढ़ा- जिनकी अज़मत को फ़रिश्ते रात-दिन सजदा करें, कर नहीं सकता मैं उनकी बंदगी का तज़केरा। शायर हसनैन मुस्तफाबादी ने कुछ इस अंदाज में पढ़ा- ग़ैर की अच्छाइयां जिनको नज़र आती नहीं, वह नहीं करते कभी अपनी कमी का तज़केरा। ज़मीर इलाहाबादी ने पढ़ा- कितना है मद्दाए अहलेबैत का रौशन ज़मीर, करता है अब तक वह मशहद के अली का तज़केरा। वहीं शायर नज़ीरुल हसन करारवी, इरफान लखनवी, हम्माद रिज़वी, ईशान कोरालवी, जलाल सिरसिवी, जावेद दुलहीपुरी आदि ने भी इमाम रज़ा की यौमे विलादत के जश्न की महफिल में अपनी रचनाओं से वाहवाही बटोरी।
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महफिल के आयोजक खुशनूद रज़ा रिज़वी ने शायरों को तोहफा भेंट करते हुए शुक्रिया अदा किया। मौलाना सैय्यद रज़ी हैदर, मौलाना अम्मार ज़ैदी, मौलाना आमिरुर रिज़वी, मौलाना अफ़ज़ल अब्बास, मौलाना कल्बे अब्बास, मौलाना रज़ा अब्बास ज़ैदी शायरों का हौसला बढ़ाते रहे। कार्यक्रम में वक़ार हुसैन रिज़वी, रज़ा इस्माइल सफवी, फरमान रज़ा, ज़ुलक़रनैन आब्दी, जावेद रिज़वी करारवी, औसाफ हैदर, जलाल हैदर, माजिद हुसैन, बिलाल हैदर, सिब्ते रिज़वी, आफताब रिज़वी, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, शादाब ज़मन, अस्करी अब्बास, आसिफ रिज़वी, ज़ामिन हसन, अनवर मुस्तफा, आमिर आब्दी, अली रज़ा रिज़वी, शमीर ज़मन, शयान ज़मन मौजूद रहे।