अवध

जीवन जीने की कला सिखाती है श्रीराम कथाः शिवम शास्त्री

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). रामजानकी कुटी में आयोजित सात दिवसीय श्रीरामकथा का बुधवार को समापन होगया। अंतिम दिन की कथा में संत शिवम महराज ने सीता हरण, लंका दहन, राम-रावण युद्ध, विभीषण के राज्याभिषेक सहित राजा राम के राज तिलक प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन किया।

महाराज ने कहा कि रामायण हमें जीने के तरीके सिखाती है। कथा व्यास ने श्रीराम कथा का वर्णन करते हुए कहा गया कि दूसरों की संपत्ति चाहे कितनी भी मूल्यवान हो, उस पर हमारा कोई अधिकार नहीं है। 14 वर्ष वनवास पूर्ण करने के बाद भगवान श्रीराम जब वापस अयोध्या पहुंचे, तो अयोध्यावासी खुशी से झूम उठे। रामायण हमें आदर, सेवा भाव, त्याग व बलिदान के साथ दूसरों की संपत्ति पर हमारा कोई अधिकार नहीं है, ऐसा सिखाती है।

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उन्होंने बताया कि जिस प्रकार भगवान श्रीराम ने दीन-दुखियों, वनवासियों, आदिवासियों के कष्ट दूर करते हुए, उन्हें संगठित करने का कार्य किया एवं उस संगठित शक्ति के द्वारा ही समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर किया। हर, राम भक्त का दायित्व है कि पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें। यह राम कार्य है।

शिवम शास्त्री ने श्रीराम के राज्याभिषेक का वर्णन किया और बताया कि बुराई और असत्य ज्यादा समय तक नहीं चलता। अच्छाई और सत्य की जय होती है। अधर्म पर धर्म की जीत हमेशा होती आई है। श्रीराम के राज्याभिषेक के प्रसंग के दौरान पूरे पंडाल में पुष्पों की वर्षा भक्तों द्वारा की गई।

समापन अवसर पर ग्राम प्रधान गोइसरा वीरेंद्र पांडेय, लालापुर ग्राम प्रधान शंकर लाल पांडेय, पंडुआ ग्राम प्रधान दीपेश मिश्र, ओठगी ग्राम प्रधान, सोंवै ग्राम प्रधान, राजेंद्र पांडेय, दिनेश पांडेय, निखिल द्विवेदी, अखिलेश मिश्र, आचार्य परमानंद, ओम पांडेय, राजू पांडेय, रामानुज पांडेय, जाह्नवी पांडेय, दिव्यांश गुप्ता, निहारिता गुप्ता, बेदी यादव, रामजानकी जनकल्याण समिति के अध्यक्ष शिवेंद्र पांडेय उपस्थित रहे।

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