मोमिन वह है, जिसके मरने के बाद भी लोग उसकी फज़ीलत का ज़िक्र करेः मौलाना असद यावर
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). दरियाबाद पठनवल्ली इमामबाड़ा अरब अली खां में अंजुमन हाशिमया के सरबराह आग़ा सरदार हुसैन खां के चालीसवें के मौके पर एक मजलिस का आयोजन किया गया। मजलिस को खिताब करते हुए मुज़फ्फरपुर के प्रख्यात आलिमेदीन मौलाना असद यावर साहब ने कहा, मोमिन वह होता है, जिसके इस दुनिया-ए-फानी से गुज़र जाने के बाद भी उसके कामों की फज़ीलत बयान हो।
आग़ा सरदार एक ऐसे मर्दे मोमिन थे, जो अपने हयात-ए-ज़िंदगी में दीनी व दुनियावी कामों के साथ तमाम तंजीमों के ज़रिए लोगों की रहनुमाई किया करते थे। आज वह नहीं हैं, लेकिन उनके गुज़रने के बाद भी इतनी बड़ी तादाद में लोगों का मजलिस-ए-चेहलुम में आना, इस बात की गवाही है कि मरहूम एक अज़ीम इंसान ही नहीं एक अज़ीम शख्सियत की मानिंद थे।
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मौलाना ने पैग़ंबर और इमामों के शजरे के साथ करबला के शहीदों का ज़िक्र किया। मजलिस से पहले शफक़त अब्बास पाशा की निज़ामत में काज़िम अब्बास, ऐजाज़ हुसैन, ज़ुल्फ़ेक़ार हैदर, अहमद जावेद कज्जन आदि ने पुरदर्द मर्सिया पढ़ा तो ज़िया अब्बास अर्शी, डा. क़मर आब्दी ने पेशख्वानी के फराएज़ अंजाम दिए। मजलिस के बाद अंजुमन हाशिमया के नौहाख्वानो ने पुरदर्द नौहा पढ़ा। मशहद अली खान को उनके वालिद आग़ा सरदार हुसैन खां के इंतकाल पुरमलाल पर लोगों ने गले लगाकर पुरसा पेश किया।
इमामबाड़ा अबुल हसन खां में ज़नानी (औरतों) मजलिस को नौगांवा सादात की मोहतरमा तंजीम नासिर आब्दी ने खिताब किया। मजलिस में मौलाना रज़ी हैदर, क़ैशर सिबतैन, सैय्यद इफ्तेखार हुसैन, बाक़र नक़वी, हसन नक़वी, मशहद अली खां, पार्षद फसाहत हुसैन, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, यासिर सिबतैन, रानू, आसिफ रिज़वी, शहनवाज़ हुसैन खां, ज़ीशान मेंहदी, मोहम्मद हाशिम, ज़व्वार भाई, फक़फूर सिबतैन, यसा सिबतैन, मोहम्मद वली अब्बास, ज़ामिन हसन, सलमान मुस्तफा आदि शामिल रहे।
वहीं बख्शी बाज़ार स्थित मस्जिद क़ाज़ी साहब में मरहूमा खुर्शीद बानो के इसाले सवाब को बरसी की मजलिस को मौलाना मोहम्मद अली गौहर साहब क़िबला ने खिताब किया। काज़िम अब्बास व साथियों ने मर्सिया पढ़ा। शहीर रालवी ने पेशख्वानी की तो अंजुमन गुंचा-ए- क़ासिमया ने नौहा व मातम का नज़राना पेश किया।
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