खत्म हुआ अय्यामे अज़ा, रानीमंडी से बशीर हुसैन की सरपरस्ती में निकाला जुलूस
दरियाबाद हवेली से तुराब हैदर की क़यादत में निकाला गया अय्यामे अज़ा का अंतिम अमारी जुलूस
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). कर्बला में सोने वालों माहपारों अलवेदा की सदाओं और क्या जाने अगले साल जिएंगे, मरेंगे हम। पर, क़ब्र में भी ताज़ियादारी करेंगे हम, की पुरदर्द सदाओं और अश्कों का नज़राना पेश करते हुए दो माह और आठ दिनों की अज़ादारी का अंतिम जुलूस रविवार को निकाला गया। रानीमंडी इमामबाड़ा मिर्ज़ा नक़ी बेग से बशीर हुसैन की सरपरस्ती में और दरियाबाद स्थित हवेली से अमारी जुलूस तुराब हैदर की क़यादत में निकाला गया।
रानीमंडी से निकला चुप ताज़िया का जुलूस अंजुमन हैदरिया के नौहों और मातम की सदाओं के साथ बच्चाजी धर्मशाला, डा. चड्ढा रोड, कोतवाली, नखासकोहना, खुल्दाबाद, हिम्मतगंज होते हुए चकिया कर्बला पर पहुंचकर समाप्त हुआ। मौलाना रज़ा अब्बास ज़ैदी ने शहादत ए इमाम हसन अस्करी की शहादत का मार्मिक अंदाज में ज़िक्र किया। अब्बन, हसन रिज़वी, ज़मन, बबलू, मूसी, अनवर, अली, ज़हीर अब्बास, शमशाद आदि नौहाख्वानों ने क़दीमी नौहा पढ़ते हुए अश्कों का नज़राना पेश किया।
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अलम ताबूत व चुप ताज़िया के फूलों को कर्बला में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। मौलाना ज़रग़ाम हैदर, मौलाना आमिरुर रिज़वी, मौलाना सैय्यद अफ़ज़ल अब्बास, ज़ाकिर ए अहलेबैत रज़ा अब्बास ज़ैदी, कब्बन भाई, बशीर हुसैन, असद हुसैन, मिर्जा काज़िम अली, वक़ार हुसैन, शेरु भाई, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, शाहिद अब्बास रिज़वी, नियाज़ुल हसन, समर, नज़र अब्बास, मिर्ज़ा मुस्तफा ज़ैन, आसिफ रिज़वी आदि शामिल रहे। वहीं दरियाबाद करैली रानीमंडी शाहगंज में महिलाओं की भी घर घर मजलिस हुई।
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रोकर यह बीमार बोला, उठो सकीना चादर आई है: 67 दिनों से कर्बला के शहीदों की याद में माहे मोहर्रम के चांद के साथ शुरु हुआ अज़ादारी का सिलसिला रविवार को इमाम हसन अस्करी की शहादत पर निकलने वाले जुलूस के साथ खत्म हो गया। दरियाबाद स्थित हवेली से ऐतिहासिक अमारी का बड़ा जुलूस तुराब हैदर की सरपरस्ती में निकाला गया। अंजुमन शब्बीरिया रानीमंडी, अंजुमन मज़लूमिया रानीमंडी, अंजुमन ग़ुंचा ए क़ासिमया बख्शी बाज़ार, अंजुमन अब्बासिया रानीमंडी, अंजुमन हुसैनिया क़दीम दरियाबाद, अंजुमन हाशिमया दरियाबाद ने अपने परचम के साथ जुलूस में भाग लिया। सभी मातमी अंजुमनें एक-दूसरे की पीछे-पीछे नौहाख्वानी करते हुए देर रात इमामबाड़ा अरब अली खान पहुंचीं, जहां अश्रुपूरित नेत्रों से या हुसैन अलवेदा की सदा बुलंद करते हुए अलम को ठंडा किया गया।
अंजुमन के प्रवक्ता सैय्यद मोहम्मद अस्करी ने बताया कि माहे रबीउल अव्वल की आठवीं को शहादत इमाम हसन ए अस्करी इब्ने नक़ी की शहादत के साथ दो माह से चली आ रही अज़ादारी खत्म हो गई।
तंज़ीमों की ओर से लगाए गए खाना-पानी के शिविरः अक़ीदतमंदों के लिए जुलूस गुज़रने के रास्ते में विभिन्न मातमी अंजुमनों व तंज़ीमों के द्वारा ठंडा पानी, शर्बत,काली मसूर की दाल व ज़ीरा चावल, नांद-कबाब, बिरयानी,चाय-बिस्किट, नमकीन के शिविर लगाए गए और वितरण किया गया।
मोहर्रम के चांद के साथ दो माह और आठ दिनों से काले लिबास पहनने वाले ईद ए ज़हरा की खुशी में काले लिबास त्याग कर रंगीन लिबास धारण करेंगे। वहीं महिलाओं द्वारा मोहर्रम के चांद पर तोड़ी गईं चूड़ियां भी कलाई पर सजेंगी। सोग पर एक किनारे कर दी गई कड़ाही भी चूल्हे पर चढ़ेगी। शिया समुदाय के लोग घरों में मीठे पकवान सेंवई, गुलगुला, पकौड़ी आदि भी बनाएंगे। विभिन्न मातमी अंजुमनों के द्वारा रानीमंडी, दरियाबाद, करेली आदि स्थानों पर ताज पोशी ए इमाम ए ज़माना और ईद ए ज़हरा पर महफिलों का आयोजन भी किया जाएगा।