अवध

हिंदी व्याकरण प्रतियोगिताः 35 स्कूलों के 530 छात्र-छात्राओं ने दी परीक्षा

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). प्रयास शिक्षण संस्थान के बैनर तले रविवार को हिंदी व्याकरण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस परीक्षा में यमुनापार के 35 विद्यालयों के 530 छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की। देवपत्ती बालिका इंटर कालेज में आयोजित परीक्षा के दौरान बच्चोंको प्रतियोगी परीक्षाओं में मिलने वाली ओएमआर शीट की भी जानकारी दी गई।

प्रयास शिक्षण संस्थान के बैनर तले आयोजित इस परीक्षा का यह पांचवां वर्ष था। इस प्रतियोगित का उद्देश्य बच्चों के अंदर हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता और लगाव पैदा करना और हिंदी भाषा को मातृभाषा के साथ-साथ राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करना है। इस प्रतियोगिता में बैठने वाले बच्चे आगे की परीक्षाओं के लिए तैयार होंगे, उन्हें प्रतियोगिताओं में किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं, इसका भी ज्ञान होगा।

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इस प्रतियोगिता में शंकरगढ़ क्षेत्र के लगभग 35 विद्यालयों ने भाग लिया, जिसमें राजा कमलाकर इंटर कॉलेज, रानी देवयानी पब्लिक स्कूल, रणजीत पंडित इंटर कालेज लोहगरा, शिक्षा निकेतन रानीगंज, नवोदय शिक्षा केंद्र, कैंब्रिज स्कूल, चिल्ड्रन स्कूल, पत्ती देवी बालिका विद्यालय इंटर कॉलेज, जेनिथ मॉडल पब्लिक स्कूल, नरेश इंटरनेशनल स्कूल, एपीएम पब्लिक स्कूल, मिनी पैराडाइज, केदारनाथ विद्या मंदिर, महर्षि दयानंद शिक्षा निकेतन, सरस्वती शिशु मंदिर शंकरगढ़, राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, दुबई सिंह प्राथमिक पाठशाला, कंपोजिट विद्यालय शंकरगढ़, कृषक इंटर कॉलेज कसौटा, रामदेव पूर्व माध्यमिक विद्यालय करिया खुर्द, सेंट मैरी पब्लिक स्कूल घूरपुर आदि के बच्चे शामिल हुए।

परीक्षा को संपन्न करवाने में परीक्षा निर्देशक पूजा केसरवानी, परीक्षा प्रभारी दीपक केसरवानी नीर, हर्षिता सिंह, सुप्रिया, प्रशांत  हिमांशु, राहुल, मनोज, विनोद, रितिक, विनोद पाल, प्रमोद जायसवाल, नंदिनी केसरवानी, रागिनी साहू, शानू केसरवानी, चंद्रदीप विश्वकर्मा, मुस्कान आदि कक्ष निरीक्षकों ने सहयोग प्रदान किया।

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हिंदी भाषा ही हिंदुस्तान की पहचानः रमेश केसरवानी

प्रयास शिक्षण संस्थान के प्रबंधक व वाणिज्य विषय के वरिष्ठ शिक्षक रमेश केसरवानी ने प्रतियोगिता का कुशल समापन पर सभी का आभार जताया। कहा, हिंदी मात्र एक भाषा ही नहीं, अपितु हिंदुस्तान का प्राण है। हिंदी भाषा ही हिंदुस्तान की पहचान है। इस भाषा की लिपि देवनागरी है, जो अपने आप में एक प्राचीन लिपि होते हो हुए संस्कृत और पाली भाषा में प्रयोग होने वाली लिपि है। संस्कृत देव भाषा कही जाती है।

हिंदी भाषा के आदि जननी संस्कृत ही है। बाद में वर्तमान हिंदी अपभ्रंश से उत्पन्न हुई। उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए आह्वान किया। कहा, हिंदी भाषा को जो सामान मिलना चाहिए था वह सम्मान अभी तक प्राप्त नहीं हुआ। महात्मा गांधी कहा करते थे कि यदि स्वतंत्र भाषा की गाड़ी अंग्रेजी भाषा रूपी पहिए पर चले तो इससे बड़ा दुर्भाग्य और कुछ नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि हर राष्ट्र की अपनी एक राष्ट्रभाषा होती है, इसी प्रकार से हिंदी को राष्ट्रभाषा में स्थापित करने के लिए सभी लोग अपना योगदान दें और हिंदी के प्रचार-प्रसार और बढ़ावा के लिए अपने-अपने क्षेत्र में योगदान दें।

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