करबला-ए-मोअल्ला मेँ तिरंगा लेकर ज़ायरीन कर रहे पैदल मार्च
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). इन दिनों जहां प्रयागराज में इमाम हुसैन की शहादत में अरबईन के मौक़े पर मजलिस, मातम जुलूस व शब्बेदारियां हो रही हैं वहीं देशभर से हज़ारों लोग अरबईन के मौक़े पर करबला में रौज़ा-ए-इमाम हुसैन की ज़ियारत को पहुंच चुके हैं। प्रयागराज से भी कई क़ाफिले रौज़ा-एएमुक़द्दसा की ज़ियारत को गए हैं, उनमें करबला के 72 शहीदों के रौज़े की ज़ियारत की ललक है तो वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो भारतीय तिरंगा साथ लेकर करबला गए हैं।
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प्रयागराज के मुस्तफाबाद सादात से ताल्लुक रखने वाले इंतेजार मेंहदी भी परिजनों के साथ जियारत करने गए हैं, वह भी ज़ायरीनों के साथ हाथ में तिरंगा लेकर नजफ से करबला तक पैदल चलकर पहुंचे। उम्मुल बनीन सोसाइटी के महासचिव सैय्यद मोहम्मद अस्करी कहते हैं भारत और तिरंगा दिल में बसता है। कहा, इमाम हुसैन को जब यज़ीदी लश्कर ने चारों ओर से घेर लिया और यह आभास हुआ की अब इस सरज़मीं पर कत्ल कर दिए जाएँगे तो इमाम हुसैन ने यज़ीदी लश्कर के पास यह पैग़ाम भेजा कि हम लोग जंग नहीं चाहते। हमे हिंद चले जाने की इजाज़त दे दो, लेकिन यज़ीद ने इजाज़त नहीं दी और खानदाने रिसालत को तीन दिन का भूखा-प्यासा शहीद कर दिया।
इन दिनों इमाम हुसैन के चालीसवें पर करबला-ए-मोअल्ला में दुनिया भर के लाखों लोग ज़ियारत ए रौज़ा ए मुक़द्दस को करबला में मौजूद हैं। जबकि इराक़ के हालात ठीक नहीं हैं। वहां आतंकवादी गतिविधियां चरम पर हैं।