अवध

बहत्तर शहीदों के ताबूत जुलूस में ज़ियारत को उमड़ा जनसैलाब

दर्दअंगेज़ मंज़रकशी के साथ दफ्न हुए शहीदाने करबला के ताबूत व फूल

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). दरियाबाद का ऐतिहासिक बहत्तर ताबूत का जुलूस इमामबाड़ा जद्दन मीर साहब से अंजुमन खुद्दामे मोजिज़नुमा के सद्र रज़ा हसनैन की क़यादत व नजीब इलाहाबादी के संचालन में अक़ीदत व ऐहतेराम के साथ निकाल कर मातमी अंजुमनों के नौहा और मातम के बीच दरियाबाद क़ब्रिस्तान मेम रौज़ा ए इमाम हुसैन के पीछे बनाए गए गंजे शहीदाँ में सुपुर्दे लहद किया गया। सुबह नौ बजे शुरु हुआ बहत्तर ताबूत के कार्यक्रम में बहलोले हिंद आफताबे निज़ामत जनाब नजीब इलाहाबादी मुसलसल ग़मगीन अशआरों से माहौल को संजीदा बनाते रहे।

जौनपुर के मौलाना इंतेज़ार आब्दी बहत्तर शहीदों का सिलसिलेवार परिचय बता कर उनकी शुजा व बहादुरी के क़िस्से बताते हुए ग़मगीन वाक़ेयात भी बयान करते रहे तो हर एक पल काले परदे के पीछे से एक एक ताबूत निकलते रहे। औन व मोहम्मद के नन्हे नन्हे ताबूत निकले तो अज़ादारों में रोने और गिरया से कोहराम बरपा हो गया। हज़रत इमाम हुसैन के ताबूत के साथ अंजुमन गुंचा ए क़ासिमया वा वैला सद वा वैला की सदाएँ बुलंद करते हुए लोबान की धूनी के साथ ताबूत लेकर हज़ारों शैदाइयों के बीच पहुँची।

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हर एक शहीद के ताबूत निकलते वक़्त डॉ नायाब बलयावी, अमन इलाहाबादी, ग़ुलाम अब्बास, शहंशाह सोनवी आदि नौहाख्वानों ने पुरदर्द नौहा पढ़ा। सीतापुर के महमूदाबाद की अंजुमन हैदरी ने क़ाफला ए बनी असद का मंज़र व दफ्ने शोहदाए करबला की दर्दनाक मंज़रकशी की। अंजुमन मोहाफिज़े अज़ा क़दीम हज़रत अली असग़र के झूले को लेकर क़ब्रिस्तान तक गई। अंजुमन ज़ैनुल ऐबा रायबरेली, अंजुमन असग़रिया मंझनपुर, अंजुमन सदक़ा ए ज़हरा करारी कौशांबी, अंजुमन अब्बासिया दांदूपूर के नौहाख्वानों ने पुरदर्द नौहा पढ़ा तो माहौल मे गिरया ओ ज़ारी से संजीदा हो गया। फौजे हुसैनी के अलमबरदार ग़ाज़ी अब्बास का विशाल ताबूत, इमाम हुसैन व जनाबे अली अकबर का ताबूत ऊँटों पर रखी जनाबे ज़ैनब उम्मे कुलसूम और अन्य सैदानियों की अमारी भी जुलूस के साथ-साथ रही। आकर्षक फूलों से सजा दुलदुल भी ज़ियारत को निकाला गया। मछलीशहर का तीस फिट ऊँचा सफेद फरैरे और तीर और तलवारों से सुसज्जित विशाल पंजे का अलम आकर्षण का केंद्र रहा। लोगों ने ताबूत अलम झूला अमारी व ज़ुलजनाह पर अक़ीदत के फूल चढ़ा कर मन्नत व मुरादें मांगीं।

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तकरीबन शाम सात बजे सभी तबर्रुक़ात क़ब्रिस्तान पहुँचे तो हज़ारों की संख्या में देश प्रदेश शहर व ग्रामीण इलाक़ों से ज़ियारत को आए लोगों के बीच अश्कों का नज़राना पेश करते हुए ताबूत व तबर्रुक़ात पर चढ़े फूलों को सुपुर्दे लहद किया गया। अंजुमन खुद्दामे मोजिज़नुमा के मीडिया डायरेक्टर सैय्यद अज़ादार हुसैन व सह मीडिया प्रभारी सैय्यद मोहम्मद के मुताबिक़ क़ैदखाना ए शाम की मंज़रकशी में मौलाना रज़ी हैदर की तक़रीर के बाद अंजुमन नक़विया के नौहाख्वानों शाहरुख शबी हसन के साथ उनके हमनवाँ साथियों ने पुरदर्द नौहा पढ़ा। क़ैदखाना ए शाम की मंज़रकशी शायर रौनक़ सफीपुरी की क़यादत में अंजाम दी गई।

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एक सोच संस्था ने लगाया हेल्थ कैंपः विधि के छात्रों ने दरियाबाद क़ब्रिस्तान में एक सोच संस्था के बैनर तले वरिष्ठ डाक्टरों व पैथोलॉजिस्ट की उपस्थिति में ब्लड, सुगर की निशुल्क जाँच शिविर लगाकर अज़ादारों को परामर्श भी दिया। विधि छात्र अब्बास हुसैन द्वारा लगाए गए जाँच शिविर में लगभग 250 लोगों के ब्लड व सुगर की जाँच के साथ ज़रुरी दवाएँ भी वित्रित की गई। अक़ीदतमंदों के लिए शिविर से ठंडे शरबत का भी वितरण किया गया। शुजा अब्बास, अब्बास हुसैन, महमूद नक़वी, आसिफ खान, आसिम नक़वी, नंदिनी, अली रज़ा आदि ने सहयोग किया।

दो दर्जन स्थानों लगाया गया लंगरः विभिन्न सामाजिक व धार्मिक तंजीमों की ओर से दिन भर हर दो क़दम पर शरबत, पानी, मटर चाट, नांद, कीमा व बिरयानी के स्टाल से लोगों को लंगर किया गया। शकील अब्बास, अरशद नक़वी, ज़ीशान खान, महज़र अब्बास, सफी नक़वी, आसिफ अमन अब्बास, वसी हैदर बबलू, डा. क़मर आब्दी आदि द्वारा जगह-जगह लगे स्टाल से अज़ादारों को नज़रें इमाम हुसैन तक़सीम किया जाता रहा।

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