पूर्वांचल

संस्कृति और संस्कार के संरक्षण के लिए सभी के आगे आने की जरूरतः डा. रामानंद

भदोही (कृष्ण कुमार द्विवेदी). सुरियावां क्षेत्र के लोकमनपुर गांव में आयोजित श्रीमदभागवत कथा ज्ञानयज्ञ के संगीतमय प्रवचन में वृंदावन से पधारे कथावाचक डा. रामानंद महराज ने बताया कि वासना का निवास 14 जगहों पर होता है। जो वासना को जीत लेता है, वह ही सच्चा भक्त होता है। जब जीव आत्मा को छोड़कर मन हिसाब से कार्य करने लगता है, तभी वह वासना का शिकार होता है।

महाराज ने कहा कि भगवान बनना सरल है, लेकिन इंसान बनना कठिन है। भगवान श्रीकृष्ण को सबसे प्रिय माखन मिश्री आहार था। योगी का आहार सबसे सरल और शुद्ध होना चाहिए। लोगों को भगवान नहीं बल्कि इंसान बनने का प्रयास करना चाहिए। महाराज ने कहा कि जो मनुस्मृति पढी होती तो समाज का आज यह हाल नहीं होता है। महाराज ने कहा, मनु के सिद्धांत का अनुसरण करना सच्ची मानवता है।

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उन्होंने कहा कि भक्त के जिस अंग पर पाप का निवास होता है, भगवान उसी अंग पर प्रहार करते है। महाराज ने कहा भगवान श्रीकृष्ण की गोपियां अनन्य भक्त थीं। भगवान को जीवात्मा के गुण और दोष से लेना देना ही नहीं है। क्योकि भगवान की कृपा स्वतंत्र है। भगवान तक मुक्ति देने के लिए लालायित रहते हैं, लेकिन उनके उस परीक्षा में कोई खरा तो उतरे। जीव के सबसे बड़ा दोष उसका अभिमान ही है।

अभिमानी बनने की अपेक्षा अज्ञानी बनकर भगवान की कृपा पाई जा सकती है। भगवान की शरणागत में होना ही भक्त की सबसे बड़ी भक्ति है। रामानंद महराज ने कहा कि लोग आज सुख-संपत्ति की इच्छा रखते हैं, ज्ञान और भक्ति से लोग दूर होते जा रहे है। भगवान की उपासना में हमेशा नीचे और अज्ञानी बने रहने की जरूरत है। सब कुछ याद होने के बाद भी यदि अभिमान हो जाए तो सारी भक्ति बेकार है। जीव को उबारना और छोड़ना केवल भगवान के ही हाथ में है। यदि मनुष्य भगवान की शरण में जाता है तो उसे भगवान की कृपा अवश्य मिलती है।

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महाराज ने कहा कि शिक्षा तो हर जगह मिल जाएगी, लेकिन बच्चों को संस्कार देना बहुत जरूरी है। विप्र वह होता है, जिसका समय-समय पर सभी संस्कार हो। आज हम अपने संस्कृति और संस्कार को छोड रहे है, जो बहुत ही गलत है। आज जरूरत है कि लोग अपनी संस्कृति और संस्कार को मजबूती के साथ पालन करें। इस मौके पर विजय कुमार दुबे, विनोद कुमार दुबे, दीनानाथ दुबे, कैलाशनाथ, त्रिलोकी नाथ, संजय दुबे, मनोज दुबे, सुनील दुबे, लल्ले दुबे, अजय शुक्ल, विजय शंकर तिवारी, सुभाष शुक्ल, मनोज मिश्र, वीरेंद्र पांडेय, कृष्णकुमार, वकील, कपिल मिश्र, अनुज दुबे, राधेश्याम शुक्ल मौजूद रहे।

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