पूर्वांचल

सेरेब्रल पाल्सी गंभीर बीमारी, जागरुकता जरूरीः शैलेष

विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस पर वेलनेस फिजियो सेंटर में जागरुकता गोष्ठी का आयोजन

भदोही (कृष्ण कुमार द्विवेदी). विश्व सेरेब्रल पॉल्सी दिवस पर लायंस क्लब भदोही और वेलनेस फिजियो के बैनर तले वेलनेस फिजियो के सेंटर, रजपुरा में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने सेरेब्रल पाल्सी की समस्या को खत्म करने में इसकी जागरुकता पर जोर दिया। कहा, इस बीमारी में ज्यादातर माता, पिता तब सक्रिय होते हैं, जब बच्चा बड़ा हो जाता है।

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उपस्थित बच्चों के माता-पिता को फिजियो थेरेपिस्ट डॉक्टर शैलेष ने बताया कि इस बीमारी के बारे में जागरूकता की कमी है। सही समय पर इलाज होने से ठीक होने संभावना बढ़ जाती है। दुनिया भर में  छह अक्टूबर को पूरी दुनिया में ‘विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। सेरेब्रल पाल्सी को अधिकतर सीपी के नाम से पहचाना जाता है। ये मांसपेशियों से जुड़ी एक तरह की बीमारी है, जो पीड़ित व्यक्ति के शारीरिक संतुलन को प्रभावित करने के साथ-साथ मस्तिष्क के विकास में बाधा उत्पन्न करती है। सेरेब्रल पाल्सी को विकलांगता की श्रेणी में रखा गया है, क्योंकि यह रोग पीड़ित को दिमाग और शरीर से विकलांग बनाकर देखने, सुनने, बोलने और सीखने की क्षमता को खत्म कर देता है।

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एक्सपर्ट्स की मानें तो ये बीमारी हर साल कई नवजात शिशुओं में देखने को मिल जाती है, लेकिन इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता की बड़ी कमी है, इसलिए 6 अक्टूबर को हर साल ‘वर्ल्ड सेरेब्रल पाल्सी डे’ के रूप में मनाया जाता है। ताकि दुनियाभर में इस रोग के प्रति लोगों को जागरूक और शिक्षित किया जा सके। इस बीमारी के इलाज के लिए पहले भदोही में कोई सेंटर नही था, लेकिन वेलनेस फिजियो रिहैब सेंटर के खुलने से इस जनपद में भी इसका इलाज संभव हो पा रहा है।

हर साल सामने आ रहे 70 लाख पीड़ितः बताया कि सेरेब्रल पाल्सी एक गंभीर बीमारी है, जिससे हर साल पूरे विश्व में लगभग 70 लाख से भी ज्यादा लोग पीड़ित होते हैं। सेरेब्रल पाल्सी के पीड़ितों में अलग-अलग तरह के लक्षण और परेशानियां नजर आती हैं, जिसके चलते इसे मॉनिटर करना काफी कठिन होता है। सेरेब्रल पाल्सी यानी सीपी के लक्षण हर एक बच्चे में अलग पाए जा सकते हैं। कार्यकर्म में लायंस क्लब के  रमेश काबरा, रमेश पुरोहित, फिजियोथेरेपिस्ट मुकेश चौबे, मुकेश गुप्ता, काजल, सूरज कुमार, प्रकाशचंद्र आदि मौजूद रहे।

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