उच्च कोटि के आत्मविश्वास से सफलता की 100 फीसद गारंटीः मुख्य न्यायाधीश
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने लॉ स्टुडेंट्स को दिए सफलता के मंत्र
मुरादाबाद (the live ink desk). इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर (Chief Justice Pritinkar Diwakar) ने तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के लॉ स्टुडेंट्स को टिप्स देते हुए कहा, सफलता के लिए आत्मविश्वास उच्च कोटि का होना चाहिए। आत्मविश्वास के साथ गहन अध्ययन और उम्दा बॉडी लैग्वेंज का होना भी आवश्यक है। लॉ के स्टुडेंट्स को अपना ड्रेस अप, प्रेजेंटेशन, सही उच्चारण और दूसरों का सम्मान करना चाहिए।
ग्रेजुएशन के बाद भी आप लॉ में करियर बना सकते हैं। कानून की पढ़ाई करने के बाद आप केवल वकील ही नहीं बन सकते, बल्कि दीगर सेक्टरों जैसे- बैंकिंग, सिविल जज, प्राइवेट फर्म में लीगल एडवाइजर आदि में भी अपना स्वर्णिम करियर बना सकते हैं। लॉ के स्टुडेंट्स को चुनाव और सरकारों के गठन की प्रक्रिया का भी ज्ञान जरूरी है। पहले माना जाता था कि जिसका कहीं दाखिला नहीं होता है, वह लॉ करता है, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
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मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर टीएमयू के ऑडिटोरियम में लॉ स्टुडेंट्स को संबोधित कर रहे थे। कहा, संविधान देश का प्रथम ग्रंथ है। देश के सभी नागरिकों को इसका सामान्य ज्ञान होना चाहिए। हम संविधान के अनुसार ही अपने कार्य करते हैं। संविधान में हमारे मौलिक अधिकारों को संग-संग मौलिक कर्तव्यों की बात भी कही गई है।

बार काउंसिल ने पांच साल का कोर्स शुरू करके यह निश्चित भी किया है कि स्टुडेंट्स शुरूआत से ही लॉ के प्रति संजीदा रहें। उन्होंने पढ़ाई के बाद वकील बनने की प्रक्रिया के चरणों को भी विस्तार से बताया। न्यायालय में अधिक उतावलापन हमें नहीं दिखाना है। क्लाइंट आपका काम देखता है, जिससे आपकी वैल्यू बढ़ती है। आपको काम मिलने लगता है। वकालत के प्रोफेशन में धैर्य काम आता है। कुछ लोग शुरूआत से ही काम न मिलने के कारण इस प्रोफेशन को छोड़ देते हैं।
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भाग्य को नहीं मेहनत को देखेंः मूट कोर्ट पर बताते हुए कहा, इसका उद्देश्य हराना या जिताना नहीं है। वहां पर आप विषय को तैयार करें। अपने ज्ञान को बताएं। इंटर्नशिप करें। जजों के साथ काम करें। कोर्ट अटेंड करें। सीखने की ललक बनाए रखें। प्रैक्टिस के लिए अपने वातावरण का अवलोकन करें। वकीलों की छवि को देखें उनके केसों का अध्ययन करें। उसके बाद चयन करें। किसी भी सम्मान को एक दिन में प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इसके पीछे सालों की मेहनत होती है। किसी भी क्षेत्र में विशेषता प्राप्त होना बड़ी बात है। भाग्य को नहीं, मेहनत को देखें। लॉ के बाद टीचिंग का ऑप्शन भी आपके लिए खुला है। शार्ट कट के जरिए वकालत में आगे बढ़ना संभव नहीं है। इसमें मेहनत की जरूरत है। इसमें जाति और लिंग का भेद भी नहीं है।
कुलाधिपति सुरेश जैन साधुवाद के पात्रः टीएमयू कुलाधिपति सुरेश जैन का साधुवाद देते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि लॉ कॉलेज चलाना वास्तव में कठिन कार्य है। यह बहुत खर्चीला कोर्स होता जा रहा है। मुरादाबाद में इतनी अच्छी सुविधा प्रदान करना बहुत बड़ी बात है। उन्होंने तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के लॉ के स्टुडेंट्स को इलाहाबाद आने का आमंत्रण भी दिया। इसके पूर्व मुख्य अतिथि प्रीतिंकर दिवाकर, कुलाधिपति सुरेश जैन, जीवीसी मनीष जैन, रजिस्ट्रार डा. आदित्य शर्मा, डीन एकेडमिक्स प्रो.मंजुला जैन, कॉलेज ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज के डीन प्रो. हरबंश दीक्षित आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। संचालन डा. माधव शर्मा ने किया। अंत में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर को कुलाधिपति सुरेश जैन और जीवीसी मनीष जैन ने शाल ओढ़ाकर स्मृति चिन्ह भेंट किया।


