रिसर्चः ड्रग डिलिवरी और साइड इफेक्ट कम करने में बेहद कारगर गोल्ड के नैनो पार्टिकल्स
युवा वैज्ञानिक डा. अमित दुबे ने शोध में किया दावा, 20 अणु वाले समूह के जरिए कैंसर का प्रभावी निदान संभव
टारगेट बेस ड्रग डिलिवरी और कैंसर का पता लगाने में भी गोल्ड के नैनोकणों का किया जा सकता है सटीक प्रयोग
प्रयागराज (एम भानुकर). शरीर की शोभा बढ़ाने वाले सोने के बेहद छोटे-छोटे कण (Nano particles) कैंसर जैसी घातक बीमारियों के रोकथाम में काफी मददगार साबित हो सकते हैं। क्वांटा कैलकुलस ग्रेटर नोएडा के वरिष्ठ वैज्ञानिक व इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व शोध छात्र डा. अमित दुबे ने अपनी रिसर्च (Research) में यह साबित किया है कि सोने के नैनो पार्टिकल्स (Nano particles) कैंसर के रोकथाम, समय पूर्व बीमारी का पता लगाने, टारगेट बेस दवाओं की डिलिवरी drug delivery और कैंसर (cancer) की दवाओं से होने वाले साइड इफेक्ट को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
प्रयागराज के युवा वैज्ञानिक डा. अमित दुबे का कहते हैं कि कैंसर (cancer) सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का प्रमुख विषय है। यह दुनिया भर में मृत्यु दर का दूसरा कारण भी है। कई रिसर्च में साबित हो चुका है शरीर में पलने वाले कैंसर का जितनी जल्दी पता चलेगा, उतनी ही जल्द उसका उपचार संभव है और जितनी देरी में कैंसर की जानकारी होगी, उपचार उतना दुरुह, कष्टप्रद और कम कारगर होगा।
सोने का इस्तेमाल आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में अनादि काल से होता आ रहा है। आयुर्वेद में औषधीय एजेंट के रूप में सोने के Nano particles के उपयोग का हमारा एक लंबा इतिहास रहा है। 1,000 साल से भी अधिक पहले से इसका उपयोग नैनो कणों (स्वर्णभस्म) के रूप में होता आया है। उस समय, कोई परिष्कृत उपकरण नहीं थे और इसलिए लोगों को यह नहीं पता था कि यह एक सोने का नैनो कण है।
स्वर्णभस्म के इसी उपयोग को आधार बनाते हुए डॉ अमित दुबे ने सोने के नैनोकणों (Nano particles) को प्रयोगशाला में विकसित किया। प्रयोगशाला में विकसित अल्ट्रा-छोटे आकार के सोने के नैनोक्लस्टर को कैंसर की दवाओं के वाहक के रूप में उपयोग किया जा सकता है, साथ ही कैंसर जैसे घातक रोग के निदान के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।
डॉ. अमित दुबे ने साझा किया कि सोने के नैनोक्लस्टर सुरक्षित, स्थिर हैं और कैंसर के ट्यूमर तक प्रभावी तरीके से दवाओं की आपूर्ति का उत्कृष्ट जैविक संसाधन हैं। इस उपलब्धि को हाल ही में नीदरलैंड स्थित एल्सेवियर जर्नल “इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल मैक्रोमोलेक्यूल्स” में प्रकाशित किया गया है। सोने के अल्ट्रा-छोटे आकार के नैनोक्लस्टर ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं और टोपोइज़ोमेरेज़ एंजाइम को सफलतापूर्वक बाधित किया है, जिसका व्यापक रूप से एंटी कैंसर और एंटी बैक्टीरियल थेरेपी में प्रयोग किया जाता है।
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डा. अमित दुबे ने बताया, लैब में विकसित यह सोने का नैनोक्लस्टर पर्यावरण के अनुकूल हैं, क्योंकि हम जिस विलायक का उपयोग कर रहे हैं वह पानी है और यह प्रक्रिया सरल, स्वच्छ, कुशल और कम लागत वाली है।
उन्होंने कहा कि उनके द्वारा डिजाइन किए गए सोने के क्लस्टर अत्यंत छोटे और जैव-संगत हैं। इनमें कैंसर दवाओं को कैरी करने की क्षमता है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह नैनो पार्टिकल्स कैंसर रोधी दवाओं की विषाक्तता (साइड इफेक्ट) को कम कर सकते हैं और दवाओं का असर बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा रक्त प्रणाली में दवाओं के बेहतर संतुलन और उपयोग को सुनिश्चित कर सकते हैं।
जब कैंसर रोधी दवाओं को सोने के गुच्छों (नैनो पार्टिकल्स) के साथ संयुग्मित किया जाता है, तो कैंसर रोधी दवा ट्यूमर में अधिक समय तक रह सकती है और दवा के प्रभाव को बढ़ा सकती है। अमित दुबे ने बताया, कैंसर का उपचार, ज्यादातर शुरुआती ट्यूमर का पता लगाने और विशिष्ट ट्यूमर साइट पर कीमोथेरेपी दवाओं का प्रभाव बढ़ाने में भी इसका (नैनो पार्टिकल्स) प्रयोग किया जा सकता है।
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डॉ. अमित ने कहा कि उनके अल्ट्रा-छोटे आकार के सोने के नैनोक्लस्टर्स का इस्तेमाल एफडीए-अनुमोदित एंटी-कैंसर दवाओं-डॉक्सोरूबिसिन को फेफड़ों और स्तन कैंसर सेल लाइनों में पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “मेरे दो इन-विट्रो निषेध अध्ययनों से पता चलता है कि इन अल्ट्रा-छोटे आकार के सोने के समूहों का उपयोग मानव टोपोइज़ोमेरेज़ एंजाइम के एक शक्तिशाली अवरोधक के रूप में किया जा सकता है, जो मानव में कैंसर की गतिविधियों के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है।
“वर्तमान अध्ययन में, टोपोइज़ोमेरेज़ एंजाइम (कैंसर का कारक) को बाधित करने वाली कैंसर विरोधी दवाओं को वितरित करने के लिए वाहक के रूप में उपयोग किया और कैंसर का पता लगाने के लिए अल्ट्रा-छोटे आकार (20 परमाणु) के सोने के नैनोक्लस्टर का उपयोग किया है।
डॉ. अमित अब अपने इस शोध में चूहों के ऊपर करने की तैयारी कर रहे हैं। जो नैनोकणों की जैव सुरक्षा, नैदानिक परीक्षणों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भविष्य में यह प्रयोग लाखों कैंसर रोगियों को ठीक करने के साथ उनकी जान बचाने में सक्षम होगा। प्रयागराज के प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिक डा. अमित दुबे सविता डेंटल कालेज एंड हास्पिटल (चेन्नई) के विशिष्ट प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।