राजधानी में 10वें राष्ट्रीय हथकरघा हाट का शुभारंभ, 16 अगस्त को किया जाएगा समापन
The live ink desk. 10वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस को समर्पित एक पखवाड़ा तक चलने वाली प्रदर्शनी ‘विरासत’ का आगाज जनपथ स्थित हथकरघा हाट में किया गया। इस प्रदर्शनी का आयोजन भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम लिमिटेड (NHDC) कर रहा है। प्रदर्शनी का समापन 16 अगस्त को किया जाएगा।
‘विरासत’ श्रृंखला की विशेष हथकरघा प्रदर्शनी पिछले वर्ष राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह की अगली कड़ी है। इस वर्ष 10वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस सात अगस्त को मनाया जाएगा। इस कार्यक्रम का फोकस हथकरघा और हस्तशिल्प की गौरवशाली परंपरा को जन-जन तक पहुंचाना है। यह हथकरघा बुनकरों और कारीगरों को बाजार भी उपलब्ध करवाता है और इससे जोड़ता है।
यह प्रदर्शनी पूर्वाह्न 11 बजे से रात आठ बजे तक आम जनता के लिए खुली रहेगी। प्रदर्शनी में भारत के आकर्षक स्थलों के हथकरघा उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री की जाएगी। हथकरघा हाट में कई गतिविधियाँ का आयोजन किया जाएगा, इसमें हथकरघा बुनकरों और कारीगरों के लिए75 स्टॉल लगाए गए हैं, जहां से वह उत्पादों की बिक्री कर सकेंगे। भारत के उत्कृष्ट हथकरघा उत्पादों की क्यूरेटेड थीम डिस्प्ले, प्राकृतिक रंगों, कस्तूरी कपास, डिजाइन और निर्यात पर कार्यशालाएं, लाइव करघा प्रदर्शन, भारत के लोक नृत्य, स्वादिष्ट क्षेत्रीय व्यंजन आदि शामिल हैं।
मोदी ने की थी हथकरघा दिवस की शुरुआत
गौरतलब है कि 7 अगस्त, 1905 को शुरू किए गए स्वदेशी आंदोलन ने स्वदेशी उद्योगों और विशेष रूप से हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित किया था। भारत सरकार ने वर्ष 2015 में प्रत्येक वर्ष सात अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने का निर्णय लिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सात अगस्त, 2015 को चेन्नई में प्रथम राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया गया। इस दिन हथकरघा बुनकर समुदाय को सम्मानित किया जाता है।
बुनकरों, श्रमिकों के आर्थिक उन्नयन का प्रयास
भारतीय हथकरघा विरासत की रक्षा करने, हथकरघा बुनकरों और श्रमिकों को अधिक अवसर प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार हथकरघा क्षेत्र के सतत विकास को सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है, जिससे हमारे हथकरघा बुनकरों और श्रमिकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सके और उनकी उत्कृष्ट शिल्पकला पर उन्हें गौरांवित किया जा सके।
सांस्कृतिक विरासत से 35 लाख लोग लाभांवित
हथकरघा क्षेत्र हमारे देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। भारत का हथकरघा क्षेत्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 35 लाख व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करता है, जो देश में कृषि क्षेत्र के बाद दूसरे स्थान पर है। हथकरघा बुनाई की कला में पारंपरिक मूल्यों से जुड़ाव है और इसके प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्ट विविधताएँ हैं। बनारसी, जामदानी, बालूचरी, मधुबनी, कोसा, इक्कत, पटोला, तसर सिल्क, माहेश्वरी, मोइरांग फी, बालूचरी, फुलकारी, लहरिया, खंडुआ और तंगलिया जैसे कुछ विशिष्ट उत्पादों के नाम हैं जिनकी विशिष्ट बुनाई, डिजाइन और पारंपरिक रूपांकन दुनिया भर के ग्राहकों को आकर्षित करता है।
भारत सरकार कर रही उत्पादों की ब्रांडिंग
भारत सरकार ने हथकरघा के लिए विभिन्न योजनाओं का शुभारंभ किया हैं, जिसमें शून्य दोष और पर्यावरण पर शून्य प्रभाव वाले उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की ब्रांडिंग की जाती है, ताकि उत्पादों की विशिष्टता को प्रदर्शित करने के अलावा उत्पादों को प्रोत्साहित किया जा सके और उन्हें एक अलग पहचान प्रदान की जा सके। यह खरीदार के लिए एक गारंटी भी है कि खरीदा जा रहा उत्पाद वास्तव में हस्तनिर्मित है।