लेके हर चीज़ मदीने से चली थी ज़ैनब…
जुलूसे अज़ा में देर रात तक चलता रहा ग़मगीन नौहों और मातम का सिलसिला
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). दरियाबाद में अमाफाहा प्रोडक्शन की ओर से इमाम हुसैन के दसवें के अवसर पर देर रात तक शहर के दर्जनों मातमी दस्तों व देश-प्रदेश के ख्याति प्राप्त नौहाख्वानों द्वारा करबला के बहत्तर (72) शहीदों को खेराजे अक़ीदत पेश किया। नौहों और मातम का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। मालेगांव महाराष्ट्र के अहले सुन्नत ज़ाकिरे अहलेबैत मौलाना अमीर हमज़ा अशरफी साहब ने इमाम हुसैन पर रोने को बिदअत कहने वालों पर जमकर निशाना साधा।
कहा ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाने से उनके पेट में मरोड़ होती है जो आतंक के पैरोकार हैं, वही रोने को बिदअत भी कहते हैं जो ज़ालिम यज़ीद की तो मानते हैं, लेकिन पैगंबर मोहम्मद साहब के कथन की, जो मेरे हुसैन से बुग़्ज़ रखे वह गोया मुझसे बुग़्ज़ रखता है, हुसैनो मिन्नी व अना मेनल हुसैन यानि हुसैन मुझसे है और मैं हुसैन से।
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नजीब इलाहाबादी और अमन मोअय्यावी के संयुक्त संचालन में हुए मातमी जुलूस-ए-अज़ा में मौलाना आमिरुर रिज़वी और सैय्यद ऊरुज रिज़वी की तक़रीर के साथ एक के बाद एक मातमी अंजुमनों ने सिलसिलेवार नौहा पढ़ा। आफताब हैदर, अकबर रिज़वी के संयोजन में अंजुमन असग़रिया, अंजुमन मज़लूमिया, अंजुमन गुंचा-ए-कासिमया, अंजुमन हुसैनिया क़दीम, अंजुमन अब्बासिया, अंजुमन मोहाफिज़े अज़ा व अंजुमन हुसैनिया रजिस्टर्ड ने जुलूस-ए-अज़ा में नज़राना-ए-अक़ीदत पेश की।
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वहीँ उन्नाव से पधारे दस वर्षीय खुसूसी नौहाख्वान बेलाल रज़ा, अली नायाब व मोहम्मद मेंहदी ने पुरदर्द नौहा पढ़ा। अंजुमन गुंचा-ए-क़ासिमया के प्रवक्ता सैय्यद मोहम्मद अस्करी ने बताया कि रात भर चले मातमी सदाओं की गूँज के साथ जुलूस मस्जिद गदा हुसैन से उठकर दरियाबाद क़ब्रिस्तान स्थित रौज़ा-ए-इमाम हुसैन पर पहुँच कर संपन्न हुआ। जुलूस में द़ो ज़ुलजनाह ताबूत व अलम के साथ करबला-ए-मुअल्ला के असली रौज़ों के तबरुक़ात की ज़ियारत भी कराई गई।
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