समस्या स्थाई तो समाधान अस्थाई क्यों, शंकरगढ़ में फिर टैंकर पर आई जलापूर्ति
जीजीआईसी में भी जलापूर्ति ठप, शिकायत पर पहुंचे एसडीएम, 80 फीसद के पास है खुद की व्यवस्था, शंकरगढ़ में हाहाकार
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). शहर से लगभग 50 किमी के फासले पर स्थित शंकरगढ़ कस्बा प्रत्येक वर्ष गर्मियों मेंपेयजल के लिए तरस जाता है। इस बार गर्मी थोड़ा पहले आई तो पेयजल संकट भी पहले गहरा गया। जल स्तर नीचे खिसक गया है। नतीजा लोगों के घरों में पानी कम, मिट्टी ज्यादा निकल रही है। शंकरगढ़ कस्बे के बीचोबीच स्थित जीजीआईसी में भी पानी नहीं आ रहा है।
शंकरगढ़ का यह जलसंकट आज का कोई नया संकट नहीं है। दशकों से यहां पेयजल की किल्लत होती आई है। पर, इसके लिए आज तक कोई भी सरकार स्थाई समाधान नहीं खोज पाई। हालांकि यह कहना ज्यादा वाजिब होगा कि यहां के सरकारी सिस्टम ने स्थाई समाधान की तरफ रुख ही नहीं किया और अगर किया तो जिस लेवल की व्यवस्था होनी चाहिए, उसमें भी घालमेल कर कागजों पर कोरम पूरा कर दिया गया।
दर्जनभर वार्डों वाले इस कस्बे की एक बड़ी आबादी आज पेयजल के लिए मारीमारी फिर रही है। कोई पड़ोसियों के रहमोकरम पर आश्रित है तो कोई परिवार सुबह से ही टैंकर की आस में घर की ड्योढ़ी पर खड़ा हो जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि एक साल में एक वार्ड पर कायदे से ध्यान देकर जलापूर्ति का स्थाई और ठोस समाधान खोजा गया होता तो यह समस्या कब की दूर हो गई होती।
वैसे भी यहां की 80 फीसद आबादी ने खुद का सेटअप लगा रखा है, बाकी की 20 फीसद जनता ही जलनिगम, नगर पंचायत पर निर्भर है। अब तक अरबों रुपये खर्च कर चुके यह दोनों विभाग कुल आबादी के एक चवन्नी हिस्से को पीने का शुद्ध पानी नहीं दे पाए। अभी हाल ही में एक स्थान की पंप खराब होगई थी, जहां पर जिस क्षमता की मोटर लगाई जानी चाहिए थी, उससे आधी से भी कम क्षमता की मोटर लगाई गई, तो पेयजल संकट का असली कारण यही है कि जिस लेवल पर बोर होना चाहिए, वह नहीं किया जाता और जिस क्षमता की मोटर लगाई जानी चाहिए, वह भी नहीं लगाई जाती।
110 फीट पर बोर, 250 पर पानी
विभागी जिम्मेदार कहते हैं कि शंकरगढ़ जलनिगम के सभी बोर (नलकूप) का जलस्तर नीचे चला गया है। 15-20 वर्ष पहले 110 फीट तक ही बोर किया गया था, जबकि पानी का स्तर 250 फीट नीचे है। इस वजह से पिछले पांच दिन से वाटर सप्लाई बंद है।
दूसरी तरफ नारीबारी गौरा से आने वाला पानी भी चार दिन से नहीं आ पा रहा है। पहले बसहरा गांव के सामने ट्रक की चपेट में आकर पाइप टूट गई थी। किसी तरह शुक्रवार को बनी तो कल्याणपुर गांव के पास किसी ने ज्वाइंट को तोड़ दिया। ऐसे में एकमात्र सहारा नारीबारी से आने वाला पानी भी रानीगंज, शंकरगढ़ नहीं आ पा रहा है।
जीजीआईसी पहुंचे उपजिलाधिकारी बारा
दूसरी तरफ जीजीआईसी में जलापूर्ति ठप होने की सूचना पर प्रिंसिपल ने शिकायत की तो आज एसडीएम बारा कालेज पहुंच गए। यहां पर उन्होंने जलापूर्ति व्यवस्था का जायजा लिया, जिसमें लोगों ने बताया कि नामभर का टैंकर आता है, उसमें भी घालमेल किया जाता है। दूसरी तरफ डूडा कालोनी में जल की सप्लाई के लिए कभी खरीदे गए दस टैंकर कूड़े का भाव में सड़ रहे हैं। इसकी जानकारी न तो एसडीएम को है और न ही ईओ को।
फिलहाल, स्थानीय लोगों ने सांसद, विधायक, प्रशासन और जल निगम से गुहार लगाई गई है कि उनके क्षेत्र में 300 फीट से अधिक की गहराई तक बोर करवाया जाए, ताकि समस्या का स्थाई समाधान हो सके।