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राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी का खामियाजा भुगत रहा प्रयागराजः विनय कुशवाहा

प्रयागराज. अपना जनपद इलाहाबाद से प्रयागराज हो गया लेकिन मिला कुछ नहीं, सिवाय गंवाने के। यहां से सरकारी दफ्तर लखनऊ शिफ्ट हो गए। कई उद्योग धंधों पर ताला लग गया और यह सिर्फ राजनैतिक शिथिलता के कारण हुआ। समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता विनय कुशवाहा ने कहा कि कई बड़े सरकारी कार्यालय लखनऊ चले गए और अब अशोक लीलैंड, जो बस-ट्रक के निर्माता हैं, लोहगरा-बारा में  इलेक्ट्रिक बसों की मैन्युफ्रैक्चरिंग प्लांट की स्थापना के लिए बातचीत चल रही थी, अब इसे लखनऊ शिफ्ट कर दिया गया है। यह प्रयागराज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है, इससें हजारों परिवारों के लिए रोजगार का रास्ता खुलने से पहले ही बंद हो गया।

विनय कुशवाहा ने कहा कि सन 2000 के दशक में बिजली की मांग और पूर्ति में बहुत अंतर था। बिजली की कमी से प्रदेश जूझ रहा था, अत्यधिक कटौती से जनता त्रस्त थी। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कैबिनेट की मीटिंग बुलाई और बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए पावर प्रोजेक्ट पर सहमति बनी।

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मीटिंग में उपस्थित तत्कालीन पर्यावरण मंत्री उज्जवल रमण सिंह ने तीन बिजली उत्पादन कारखाना यमुनापार में लगाने का प्रस्ताव बनाकर पेश किया और यह बात मुख्यमंत्री को समझाने में सफल रहे कि यमुनापार में अकृषक भूमि अत्यधिक मात्रा में है, वह फैक्ट्री के लिए उपयुक्त है।

एक हफ्ते में ही अवनीश अवस्थी (एमडी, पावर कारपोरेशन) ने आकर जमीन का मुआयना किया और तीनों पावर प्रोजेक्ट स्वीकृति हो गए। मेजा व बारा में उत्पादन चालू है, जबकि करछना में जमीन अधिग्रहण हो चुका है।

प्रवक्ता ने कहा कि अपने लोगों की भलाई के लिए अपने नेता से भी लड़ना पड़ता है। राजनैतिक इच्छाशक्ति का ही नतीजा है कि सरस्वती हाईटेक सिटी नैनी और राज्य विश्वविद्यालय अखिलेश सरकार में ही अस्तित्व में आया। इसका श्रेय पूर्व मंत्री उज्ज्वल रमण सिंह को जाता है।

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