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रीवा लोकसभाः सफेद बाघों वाली धरती से हैट्रिक लगाने की तैयारी में जनार्दन मिश्र!

विंध्य के पठार पर आबाद रींवा लोकसभा सीट से पांच बार कांग्रेस, चार बार भाजपा और तीन बार बसपा को मिली है जीतः 2014 के बाद से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी जनार्दन मिश्र लगातार जीतते आ रहे हैं चुनाव, 2019 में बढ़ा था वोट शेयर

The live ink desk (आलोक गुप्ता). ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा देने वाली भारतीय जनता पार्टी के रीवा लोकसभा सीट से प्रत्याशी जनार्दन मिश्र हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं। 2009 से अब तक हुए आम चुनावों की बात करें तो भाजपा के वोट शेयर में लगातार इजाफा हुआ है। 2009 में भाजपा (चंद्रमणि त्रिपाठी) को कुल 48.34 फीसद मतदान का 19.27 प्रतिशत वोट हासिल हुआ था।

इसके बाद 2014 में हुए आम चुनाव में भाजपा के वोट शेयर में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोत्तरी हुई और तीसरे स्थान वाली पार्टी 46.17 प्रतिशत वोट (कुल मतदान 53.73 फीसद) पाकर विजेता बन गई। भाजपा से जनार्दन मिश्र 3,83,320 मत पाकर यहां से सांसद चुने गए, जबकि कांग्रेस दूसरे (25.85 प्रतिशत) और बसपा तीसरे (21.15 फीसद) स्थान पर रही। यह मुकाबला लगभग एकतरफा था। हालांकि कांग्रेस और बसपा ने कड़ी टक्कर दी थी।

इसके बाद साल 2019 के आम चुनाव में भाजपा के जनार्दन मिश्र को फिर से जीत मिली। इस बार जनार्दन मिश्र के वोट शेयर में पिछले चुनाव के मुकाबले 11.44 फीसद (5,83,745 मत) की बढ़ोत्तरी हुई और वह कुल मतदान (60.41 प्रतिशत) का 57.61 प्रतिशत मत पाने में कामयाब रहे। इस बार भी टक्कर में कांग्रेस पार्टी रही। कांग्रेस को कुल 26.74 फीसद वोट मिले थे, जो भाजपा के मुकाबले आधे से भी कम थे। जबकि बसपा के वोट शेयर में 12.16 फीसद की गिरावट दर्ज की गई। जनार्दन मिश्र की दोहरी सफलता के बाद भाजपा ने 2024 के चुनाव में फिर से उन्ही पर भरोसा जताया है।

विंध्य के पठार पर आबाद रीवा मध्य प्रदेश के बड़े शहरों में गिना जाता है। इसकी स्थापना 1400 ईस्वी में बघेल राजपूतों ने की थी। मुगल सम्राट अकबर द्वारा बांधवगढ़ नगर को ध्वस्त किए जाने के बाद रीवा जनपद का नाम महत्वपूर्ण स्थलों में गिना जाने लगा। कालांतर में यह शहर ब्रिटिश एजेंसी की राजधानी भी रहा। प्राकृतिक संपदाओं से समृद्ध रीवा के जंगलों में ही सफेद बाघ की प्रजाति पाई गई है।

रीवा लोकसभा सीट पर 1952 से ही लोकसभा चुनाव होते आ रहे हैं। इस सीट पर कुल 18 बार चुनाव हो चुके हैं। जिसमें तीन नेता ही ऐसे रहे, जिन्हे लगातार दो बार जीतने का मौका मिला। कांग्रेस के शिवदत्त उपाध्याय ने 1957 और 62 का चुनाव लगातार जीता। इसी तरह एक बार निर्दलीय और एक बार कांग्रेस के बैनर तले मार्तंड सिंह सांसद चुने (1980-84 में) गए। इसके बाद साल 2014 और 2019 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में जनार्दन मिश्र ने चुनाव जीता।

विधानसभा सिरमौर, सेमरिया, त्योंथर, मऊगंज, देवतालाब, मनगांव, रीवा और गुढ़ विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बनाई गई रीवा लोकसभा सीट पर फिलहाल भाजपा का ही दबदबा देखने को मिल रहा है। विधानसभा सेमरिया (कांग्रेस के पास) को छोड़ दें तो शेष सातों सीटों पर भाजपा के ही विधायक हैं।

सात विधानसभा सीटों पर है भाजपा का कब्जा, कम मतदान ने बढ़ाई टेंशन

मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव चार चरणों में हो रहा है। यहां पर लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं। रीवा लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में मतदान हुआ। भाजपा से जनार्दन मिश्र, कांग्रेस से नीलम अभय मिश्रा और बहुजन समाज पार्टी से एडवोकेट अभिषेक मास्टर (बुद्धसेन पटेल) चुनाव मैदान में हैं। यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 18.50 लाख है। 26 अप्रैल को हुए मतदान में शाम छह बजे तक कुल 48.67 फीसद वोटिंग हुई थी। हालांकि, अनंतिम रूप से कुल मतदान का आकड़ा प्राप्त नहीं हो सका।

साल 2009 के चुनाव में भी 48.34 फीसद वोटिंग हुई थी। उसमें बसपा प्रत्याशी देवराज सिंह पटेल को जीत मिली थी। हालांकि, इस दफा हालात दूसरे हैं। जनार्दन मिश्र लगातार दो बार से सांसद चुने जा रहे हैं। फिर भी कम मतदान ने भाजपा की पेशानी पर बल ला दिया है।

मौजूदा राजनीतिक समीकरण की बात करें तो हाल-फिलहाल रीवा लोकसभा में विधानसभा की कुल आठ सीटें हैं, जिसमें से एक सेमरिया पर कांग्रेस से अभय मिश्र विधायक हैं, जबकि अन्य सभी सीटें भाजपा के पास हैं। विधानसभा सिरमौर से दिव्यराज सिंह, त्योंथर से सिद्धार्थ तिवारी, मऊगंज से प्रदीप पटेल, देवतालाब से गिरीश गौतम, मनगांव (सुरक्षित) से नरेंद्र प्रजापति, रीवा से राजेंद्र शुक्ल और गुढ़ विधानसभा से भाजपा के नागेंद्र सिंह विधायक हैं।

मौजूदा राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो एक तरफ से पूरी लोकसभा सीट पर भाजपा का दबदबा है। तो दूसरी तरफ पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा से ही जनार्दन मिश्र लगातार लोकसभा पहुंचते रहे हैं।

2009 के आम चुनाव में यहां से भाजपा प्रत्याशी चंद्रमणि त्रिपाठी को 1,16,300 वोट मिले थे। इसके बाद हुए दो चुनावों में लगातार भाजपा का ग्राफ बढ़ता गया। 2014 के चुनाव में जनार्दन मिश्र ने 3,83,320 वोट पाकर जीत दर्ज की तो अगले यानी 2019 के चुनाव में जनार्दन मिश्र की स्वीकार्यता में और इजाफा हुआ और वह 11.44 फीसद वोटों की बढ़ोत्तरी के साथ 5,83,745 वोट पाकर सांसद चुने गए।

उत्तर प्रदेश की सीमा से सटी हुई लोकसभा सीट रीवा के चुनाव के बारे में राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भाजपा का पलड़ा भारी दिख रहा है। रीवा लोकसभा सीट से अब सभी को चार जून को इंतजार है, जब ईवीएम के बक्से खुलेंगे और वोटों की गिनती की जाएगी।

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