रूस-यूक्रेन युद्ध से प्रभावित मेडिकल छात्रों को मौका, दूसरे देशों में पूरी कर सकेंगे पढ़ाई
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमएमसी) ने यूक्रेन में पेश किए गए अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम को दी मान्यता
नई दिल्ली (The live ink desk). रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू होने के बाद यूक्रेन से वापस लौटे भारतीय मेडिकल छात्र अब दूसरे देशों के विश्वविद्यालयों में एडमिशन लेकर अपनी अवशेष पढ़ाई पूरी कर सकेंगे। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग एनएमसी ने यह अनुमति खास परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दी है।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमएमसी) ने यूक्रेन में पेश किए गए अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम को मान्यता देने के लिए सहमति दे दी है, ताकि ऐसे छात्रों को अपनी पढ़ाई पूरी करने की अनुमति मिल सके, जो रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत लौट आए थे। चूंकि, डिग्री सिर्फ मूल यूक्रेनी विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की जाएगी, इसलिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा मंगलवार को जारी की गई नोटिस में कहा गया है कि गतिशीलता कार्यक्रम संबंधी यूक्रेन की पहल पर विदेश मंत्रालय से गहन विचार-विमर्श किया गया, जिसमें यह जानकारी दी गई है कि अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों के विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने के लिए एक अस्थाई व्यवस्था है।
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यानी, मेडिकल के छात्र पढ़ाई चाहे जिस देश में करें, लेकिन उन्हें डिग्री मूल यूक्रेनी विश्वविद्यालय से ही मिलेगी, ऐसा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के नोटिस में कहा गया है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के कानून के मुताबिक विदेशी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों को अपनी शिक्षा और डिग्री एक ही विश्वविद्यालय से प्राप्त करनी होती है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा मंगलवार को जारी सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है कि अकादमी गतिशीलता कार्यक्रम विश्व स्तर पर विभिन्न देशों में अन्य विश्वविद्यालयों के लिए एक अस्थाई स्थानांतरण व्यवस्था है।
उल्लेखनीय है कि रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी में शुरू हुआ युद्ध अभी भी जारी है। युद्ध की शुरुआत में ही भारत सरकार ने एक विशेष अभियान चलाकर यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को वापस लाने की व्यवस्था की थी। इसी के तहत वहां फंसे सभी छात्र वापस अपने देश लौट पाए थे। इस युद्ध की वजह से बड़ी तादाद में भारतीय मेडिकल छात्र अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर वापस अपने देश लौट आए थे, ऐसे छात्र भारत सरकार से अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए भारतीय विश्वविद्यालयों में एडमिशन की मांग कर रहे थे। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा एनएमसी द्वारा उठाया गया यह कदम भारतीय मेडिकल छात्रों के लिए एक राहत भरी खबर है।