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नमामि गंगे प्रोजेक्टः निर्मल हुई गंगा की धारा, जलीय जीवों का जीवन सुधरा

The live ink desk. नमामि गंगे प्रोजेक्ट (Namami Gange Project) के प्रभावी होने के बाद से गंगा के जल की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है। सैकड़ों कछारी गांव ओडीएफ हुए। वन क्षेत्र बढ़ा। विभिन्न सीवेज परियोजनाओंसे जलीय जीवों का जीवनकाल बढ़ा है। यहजानकारी केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने गुरुवार को लोक सभा में दी।

सवाल के जवाब देते हे राजभूषण चौधरी ने कहा, भारत सरकार ने गंगा और उसकी सहायक नदियों के पुनरुद्धार के लिए साल 2014-15 में नमामि गंगे प्रोजेक्ट (Namami Gange Project) की हरी झंडी दी थी। पांच साल के लिए इसका बजट (मार्च, 2021 तक के लिए) 20,000 करोड़ रुपये निर्धारित था। इस कार्यक्रम को 22,500 करोड़ रुपये के बजट के साथ मार्च, 2026 तक बढ़ा दिया गया है।

इस प्रोजेक्ट (Namami Gange Project) में गंगा नदी की सफाई और पुनरुद्धार के लिए विविध व समग्र प्रयास शुरू किए गए हैं। अपशिष्ट जल उपचार, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, नदी तट प्रबंधन (घाट और श्मशान),  ग्रामीण स्वच्छता, वनरोपण, जैव विविधता संरक्षण और जन भागीदारी आदि शामिल है।

जून, 2024 तक 39,080.70 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से कुल 467 परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इनमें से 292 परियोजनाएं पहले ही पूरी होने के साथ परिचालित हो गई हैं। कुल अनुमोदित परियोजनाओं से 6,2170 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) क्षमता के निर्माण व पुनर्वास, लगभग 5,282 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क बिछाने के लिए 32,071 करोड़ रुपये की लागत से 200 सीवरेज बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू की गई हैं।

इनमें से 120 सीवरेज परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। 3,242 मिलियन लीटर प्रतिदिन एसटीपी क्षमता का निर्माण और पुनर्वास सहित 4,528 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क बिछाया गया है। गंगा और उसकी सहायक नदियों को प्रदूषण मुक्त व टिकाऊ स्वच्छता प्रदान करने के लिए एनजीपी के तहत राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) द्वारा कई अन्य प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत नमामि गंगे कार्यक्रम, सीवेज परियोजनाओं के निरंतर परिचालन, रखरखाव संविदा शर्तों को पांच साल से 15 साल की अवधि के साथ मंजूरी प्रदान की गई है।

3679 कछारी गांव ओडीएफ प्लस घोषित

उत्तर प्रदेश में गंगा कार्य बल (जीटीएफ) का गठन किया गया है, जो मिट्टी का कटाव रोकने, वृक्षारोपण, नदी क्षेत्रों व घाटो में गश्त लगाने सहायता करता है। गंगादूत (45,000), गंगा प्रहरी (2900) और गंगा मित्र (700) का एक कैडर सार्वजनिक भागीदारी गतिविधियों में शामिल है। गंगा के पांच राज्यों के 4,507 चिन्हित गांवों में स्वतंत्र घरेलू शौचालयों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। गंगा के तटीय इन गांवों को अब ओडीएफ घोषित किया गया है। इसके अलावा अब तक गंगा नदी के 3,679 गांवों को ओडीएफ स्थिरता (ओडीएफ प्लस) घोषित किया गया है।

31,494 हेक्टेयर में लगाए गए पौधे

एनएमसीजी द्वारा राज्य वन विभाग के जरिए गंगा नदी के मुख्य धारा के साथ एक वानिकी परियोजना लागू की गई है। इसमें लगभग 347 करोड़ रूपये के व्यय के साथ 31,494 हेक्टेयर क्षेत्र पर वनीकरण कार्य किया गया है। केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीआईएफआरआई) की ओर से कार्यान्वित विशेष परियोजना के तहत मत्स्य जैव विविधता और नदी डॉल्फिन के प्रे बेस का संरक्षण करने और गंगा बेसिन में मछुआरों की आजीविका सुनिश्चित करने के लिए साल 2017 से कुल 105 लाख भारतीय मेजर कार्प (आईएमसी) फिंगरलिंग्स को गंगा में रखा गया है।

जल जीवों की संख्या में उल्लेखनीय सुधार

देहरादून स्थित भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) और राज्य वन विभाग के सहयोग से डॉल्फिन ऑर्ट्स, हिल्सा, कछुआ और घड़ियाल जैसी जलीय प्रजातियों के लिए एक बचाव और पुनर्वास कार्यक्रम- विज्ञान आधारित प्रजाति पुनरूद्धार कार्यक्रम द्वारा डॉल्फिन ऑर्ट्स, हिल्सा,    कछुओं और अन्य नदी प्रजातियों की आबादी में आई बढ़ोतरी जैव विविधता में उल्लेखनीय सुधार को दिखाता है।

पांच साझा सीईटीवी को दी गई मंजूरी

औद्योगिक प्रदूषण को कम करने के लिए पांच साझा प्रवाह शोधन संयंत्रों (सीईटीपी) – जजमाऊ सीईटीपी (20 एमएलडी), बंथेर सीईटीपी (4.5 एमएलडी), उन्नाव सीईटीपी (2.65 एमएलडी), मथुरा सीईटीपी (6.25 एमएलडी) और गोरखपुर सीईटीपी (7.5 एमएलडी) को मंजूरी दी गई है। इनमें से दो परियोजनाएं- मथुरा सीईटीपी (6.25 एमएलडी) और जजमऊ सीईटीपी (20 एमएलडी) पूरी हो चुकी हैं। 

रोजाना के बीओडी भार में भारी कमी

Namami Gange Project के तहत गंगा की मुख्य धारा वाले राज्यों और उसकी सहायक नदियों के तट पर परिचालित काफी अधिक प्रदूषणकारी उद्योगों (जीपीआई) की जांच साल 2017 से की जा रही है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप साल 2017 में 26 टन प्रतिदिन के हिसाब से साल 2022 में 13.73 टीडीपी बीओडी भार में कमी आई है और साल 2017 में 349 एमएलडी के हिसाब से साल 2022 में 249.31 एमएलडी तक लगभग 28.6 फीसदी प्रवाह निर्वहन में कमी आई है।

गुणवत्ता मापने को आनलाइन डैशबोर्ड 

एनएमसीजी की ओर से गंगा और यमुना नदी की गुणवत्ता, सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) के प्रदर्शन आदि की निरंतर निगरानी के लिए एक ऑनलाइन डैशबोर्ड “प्रयाग” परिचालित किया गया है। कुल 139 जिला गंगा समितियों का गठन किया गया है, जो नियमित रूप से 4एम (मंथली, मेंडेटेड, मिनट और मॉनिटर्ड) बैठकें आयोजित करती हैं। जून, 2024 तक 3,032 से अधिक बैठकें आयोजित की गई हैं।

12.53 करोड़ के चार प्रोजेक्ट मंजूर

चयनित जिला गंगा समितियों के समन्वय में रामगंगा बेसिन में चार जिलों- उत्तराखंड में उधम सिंह नगर, उत्तर प्रदेश में शाहजहांपुर, मुरादाबाद और बरेली जिला में लोगों को विकेंद्रीकृत योजना व नदी बेसिन प्रबंधन में बेहतर भागीदारी करने के लिए तैयार किया गया है। आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में 12.53 करोड़ रुपये की लागत से चार परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

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