इलाहाबाद से डा. मुरली मनोहर जोशी ही लगा पाए हैट्रिक, लाल बहादुर शास्त्री और रेवतीरमण भी दो बार जीते
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). प्रयागराज जनपद की दो लोकसभा सीटों में इलाहाबाद लोकसभा (Allahabad Lok Sabha), एक ऐसी सीट है, जिस पर भाजपा के कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी (Murli Manohar Joshi) ही हैट्रिक लगा पाए। हालांकि, यह हैट्रिक 1996, 1998 और 1999 के दरम्यान लगातार तीन बार हुए आम चुनावों में लगी। 1996 वही साल है, जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार 13 दिन में गिर गई थी।
इसके अलावा इलाहाबाद लोकसभा (Allahabad Lok Sabha) सीट से कांग्रेस से लाल बहादुर शास्त्री (साल 1957-62) और समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता कुंवर रेवतीरमण सिंह को दो-दो बार (वर्ष 2004-09) जीतने का मौका मिला। इसके अलावा छोटे लोहिया के नाम से मशहूर जनेश्वर मिश्र और पूर्व पीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह को भी इलाहाबाद सीट से दो बार सांसद बनने का मौका मिला, लेकिन वह भी लगातार नहीं बन पाए।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फिजिक्स डिपार्टमेंट के एचओडी रह चुके डा. मुरली मनोहर जोशी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विज्ञान एवं तकनीकी और समुद्री विकास मंत्रालयों की भी जिम्मेदारी उठाई है। इलाहाबाद लोकसभा सीट की बात करें तो यह मेजा, करछना, बारा, कोरांव और शहर दक्षिणी विधानसभा सीट को मिलाकर बनाई गई है।
मौजूदा समय में कोरांव (राजमणि कोल), करछना (पीयूष रंजन निषाद) और शहर दक्षिणी विधानसभा (नंदगोपाल गुप्ता) पर भाजपा का कब्जा है, जबकि बारा विधानसभा में भाजपा के सहयोगी अपना दल के विधायक डा. वाचस्पति हैं। इकलौती मेजा विधानसभा में समाजवादी पार्टी के संदीप सिंह पटेल एमएलए हैं। 2022 में हुए विस चुनाव में इलाहाबाद लोकसभा के 80 फीसद पर भाजपा ने जीत हासिल की थी।
1952 में अस्तित्व में आई इलाहाबाद लोकसभा सीट पर अब तक 20 बार आम चुनाव (तीन उपचुनाव) हो चुके हैं। 1952 में पहली दफा श्रीप्रकाश यहां से सांसद चुने गए थे। साल 1952 के ही उप चुनाव में पुरुषोत्तमदास टंडन को यहां से संसद भवन जाने का मौका मिला। इसके बाद 1957 से लेकर 1962 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) यहां से चुनाव जीतते रहे।
1967 में हरिकृष्ण शास्त्री और 1971 में हेमवती नंदन बहुगुणा को इलाहाबादवासियों ने अपना सांसद चुना था। 1971 तक यह सीट कांग्रेस के पास ही रही। इसके बाद 1977 के चुनाव में जनता पार्टी से जनेश्वर मिश्र ने चुनाव जीतकर कांग्रेस के विजयरथ को रोका। हालांकि, 1980 में कांग्रेस ने विश्वनाथ प्रताप सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री) को चुनाव मैदान में उतारा और जनता पार्टी के खाते में गई इस सीट पर फिर से कब्जा जमा लिया।
1980 के ही उप चुनाव में यहां से कृष्णप्रकाश तिवारी और उसके बाद 1984 में सिनेमा जगत के शहंशाह अमिताभ बच्चन ने चुनाव जीता। अमिताभ बच्चन ने दिग्गज नेता हेमवतीनंदन बहुगुणा को पराजित किया था। इलाहाबाद लोकसभा सीट पर यह कांग्रेस की समाप्ति का दौर था। 1988 (उपचुनाव) में निर्दल प्रत्याशी के रूप में एक बार फिर विश्वनाथ प्रताप सिंह ने चुनाव जीता। जबकि 1989 में हुए आम चुनाव में जनता दल से छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र सांसद चुने गए। 1991 में जनता दल से ही सरोज दुबे को सदन पहुंचने का मौका मिला।
इसके बाद 1996 में हुए आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी एक बड़े दल के रूप में उभरकर सामने आई और अटल बिहारी वाजपेयी भारत के दसवें प्रधानमंत्री बने। उनका यह कार्यकाल महज 13 दिन का (16 मई से एक जून, 1996) रहा। 1996 के बाद से लगातार हुए तीन चुनावों में इलाहाबाद लोकसभा सीट से डा. मुरली मनोहर जोशी (Murli Manohar Joshi) चुनाव जीतते रहे।
इलाहाबाद संसदीय सीट (Allahabad Lok Sabha) से हैट्रिक लगाने वाले जोशी के विजय अभियान को साल 2004 में कुंवर रेवतीरमण सिंह ने रोका और वह भी लगातार दो बार सांसद चुने गए। जबकि 2014 पहली मोदी लहर में श्यामाचरण गुप्ता और 2019 में प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी यहां से सांसद चुनी गईं।
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