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मछलीशहर लोकसभाः साल 2019 में 181 मतों के मामूली अंतर से चूक गई थी बसपा

कांग्रेस और भाजपा ने चार-चार बार जीता है चुनाव, उमाकांत ने खोला था बसपा का खाता, शिवशरण वर्मा तीन बार जीतकर लगा चुके हैं हैट्रिक, नागेश्वर भी दो बार जीते हैं चुनाव

जौनपुर (संजय सिंह). 18 लाख से अधिक मतदाताओं वाली मछलीशहर लोकसभा सीट (Machhalishahar Lok Sabha) कई मायनों में बेहद अहम है। ऐतिहासिक रूप से समृद्ध जनपद जौनपुर में आने वाला कस्बा मछलीशहर, जौनपुर से प्रयागराज (इलाहाबाद) को जाने वाले एनएच 31 पर स्थित है। मछलीशहर लोकसभा क्षेत्र की सीमाएं पश्चिम में प्रतापगढ़, दक्षिण में भदोही और पूर्वोत्तर में वाराणसी को छूती हैं।

मछलीशहर लोकसभा क्षेत्र का निर्माण पांच विधानसभाओं को जोड़कर किया गया है। इसमें मछलीशहर, मड़ियाहूं, जफराबाद, केराकत (जनपद जौनपुर) और पिंडरा विधानसभा (वाराणसी जनपद) आती है। इनमें से दो सीटों पर सपा और शेष तीन पर अपना दल, भाजपा और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का कब्जा है। जबकि 2019 का लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी ने जीता था। 2022 के विधानसभा चुनाव में भले ही बसपा को इन सीटों पर जीत न मिली हो, लेकिन लोकसभा चुनाव बसपा पूरी दमदारी के साथ लड़ती है।

दमदारी इतनी कि बीते लोकसभा चुनाव (General Elections) में भाजपा प्रत्याशी महज 181 वोट से जीत पाए। 2019 के लोकसभा चुनाव में मछलीशहर के 55.99 फीसद मतदाताओं ने वोटिंग की थी। एक तरफ थे भाजपा के बीपी सरोज तो दूसरी तरफ बसपा ने त्रिभुवनराम को चुनावी रण में उतारा था। दोनों ने एक दूसरे को कड़ी टक्कर दी। इस वजह से लोकसभा जैसे चुनाव में हार-जीत का फैसला 200 वोटों के अंदर सिमट गया। जबकि 100-200 वोटों से हार-जीत ग्राम पंचायतों के इलेक्शन में ज्यादा देखने को मिलती है।

भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बीपी सरोज 4,88,397 (कुल मतदान का 47.19 फीसद) वोट पाकर सांसद बन गए। जबकि बसपा के त्रिभुवनराम 4,88,216 वोट (47.17 फीसद) पाने के बाद भी चूक गए। सीधी लड़ाई वाले इस चुनाव में तीसरे स्थान पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रत्याशी राजनाथ को महज 11 हजार वोटों से संतोष करना पड़ा और दस हजार से अधिक वोट नोटा के खाते में गए।

इसके बाद साल 2014 के General Election की बात करें तो इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रामचरित्र निषाद 4,38,210 वोट (43.91 फीसद) पाकर सांसद बन गए थे और 2019 में इससे ज्यादा वोट पाने वाले बसपा प्रत्याशी चुनाव हार गए। 2014 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे बसपा के बीपी सरोज को 2,66,055 वोट, 26.66 फीसद वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर सपा के तूफानी सरोज ने भी 1,91,387 वोट हासिल कर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया था। इस चुनाव में भाजपा ने समाजवादी पार्टी के वोट बैंक में सेंधमारी की थी। बहरहाल, कड़ी टक्कर के बावजूद भारतीय जनता पार्टी बीते दोनों चुनावों में यह सीट हथियाने में कामयाब रही।

चार-चार बार जीत चुकी है कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी

1962 में अस्तित्व में आई मछलीशहर लोकसभा सीट (Machhalishahar Lok Sabha) पर अब तक 15 चुनाव हो चुके हैं। इसमें से चार बार यह सीट कांग्रेस के पास रही है। तो भारतीय जनता पार्टी भी इस सीट से चार बार जीत दर्ज कर चुकी है। इस बार यदि यहां से भाजपा जीतती है तो वह मछलीशहर से सर्वाधिक चुनाव जीतने वाली पार्टी बन जाएगी। साल 1962 के चुनाव (General Election) में यहां से कांग्रेस के गनपत राम जीते, जबकि 1967-71 में कांग्रेस के ही नागेश्वर द्विवेदी को दो बार सांसद बनने का मौका मिला। इसके बाद 1977 में जनता पार्टी से राजकेशर सिंह व 1980 में शिवशरण वर्मा सांसद बने। इसके बाद 1984 में यह सीट फिर से कांग्रेस को मिली और श्रीपति मिश्र यहां से चुनाव जीते। 1989-91 में जनता दल के बैनर तले शिवशरण सिंह ने चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाई।

साल 1996 में यहां से भाजपा का खाता खुला और रामविलास वेदांती सांसद चुने गए। जबकि 1998 में स्वामी चिन्मयानंद को सांसद बनने का सौभाग्य मिला। 1999 में समाजवादी पार्टी ने अपना खाता खोला और सीएन सिंह सांसद बने। अगले यानी 2004 के चुनाव में बसपा ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई और उमाकांत यादव चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचा। इसके बाद 2009 के चुनाव में एक बार फिर मतदाताओं ने सपा को अपना समर्थन सौंपा और तूफानी सरोज यहां से सांसद बने। इसके बाद से यह सीट लगातार भाजपा के पास है।

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