महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के आधा दर्जन जिलों को भी पहली बार मिलेगी रेल सेवा
The live ink desk. देश की मायानगरी मुंबई और मिनी मुंबई इंदौर को सबसे छोटा रेल संपर्क देने के उद्देश्य से एक नई परियोजना को स्वीकृति दी गई है। देश के दो बडे व्यापारिक केंद्रों (मुंबई और इंदौर) के बीच इस रेल रूट की लंबाई 309 किलोमीटर होगी।
यह रेल परियोजना महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के उन जनपदों को रेल यातायात की सुविधा देगी, जो अभी तक रेल संपर्क मार्ग से अछूते थे। इसमें महाराष्ट्र के दो और मध्य प्रदेश के छह जिले शामिल हैं। परियोजना पर कुल 18,036 करोड़ रुपये की लागत आएगी और यह 2028-29 तक पूरी हो जाएगी। इस परियोजना से लगभग 102 लाख मानव-दिवसों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने रेल मंत्रालय के तहत 18,036 करोड़ रुपये (लगभग) की लागत वाली नई रेलवे लाइन परियोजना को मंजूरी दी है।
इंदौर और मनमाड (महाराष्ट्र) के बीच प्रस्तावित नई लाइन से मुंबई और इंदौर के बीच आवागमन में तेजी आएगी। उत्तर भारत से दक्षिण भारत के बीच रेल आवागमन में लगने वाले समय में भी कमी आएगी।
1000 गांवों के लिए बनेंगे 30 नये स्टेशन
यह परियोजना मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम है, जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुआ है और लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध संपर्क प्रदान करेगा।
इस परियोजना में 30 नये स्टेशन बनाए जाएंगे। नई रेलवे लाइन परियोजना से लगभग 1,000 गांवों और लगभग 30 लाख आबादी को रेल संपर्क मिलेगा। देश के पश्चिमी/दक्षिण-पश्चिमी हिस्से को मध्य भारत से जोड़ने वाला छोटा रास्ता उपलब्ध होगा। पर्यटन में तेजीआएगी।
माल की ढुलाई में आएगी तेजी, समय बचेगा
इस नई परियोजना से पीथमपुर ऑटो क्लस्टर (90 बड़ी इकाइयां और 700 छोटे और मध्यम उद्योग) को जेएनपीए के गेटवे पोर्ट और अन्य राज्य बंदरगाहों से सीधा संपर्क मिलेगा। एमपी के बाजरा और महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक जिलों को रेल कनेक्टिविटी मिलेगी।
कृषि उत्पादों के साथ-साथ उर्वरक, कंटेनर, लौह अयस्क, इस्पात, सीमेंट, पीओएल के परिवहन में तेजी आएगी। क्षमता वृद्धि कार्य के परिणामस्वरूप लगभग 26 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। यह जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में कारगर है। तेल आयात (18 करोड़ लीटर) को कम करने और कार्बनडाइक्साइड उत्सर्जन (138 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद मिलेगी, यह 5.5 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
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