The live ink desk. मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश के 31 जिलों में चलाए जा रहे 66 नर्सिंग कालेजों की मान्यता रद्द करते हुए उन्हे बंद करने का निर्देश दिया है। जांच में सभी कालेज नर्सिंग के मापदंडों पर अनफिट पाए गए थे। इस पर सीएम मोहन यादव ने सख्त कार्य़वाही के निर्देश दिए थे।
मध्य प्रदेश के नर्सिंग कॉलेज घोटाला प्रकरण में प्रदेश सरकार की कार्यवाही से कालेज संचालकों में अफरातफरी का माहौल है। हालांकि, मोहन यादव सरकार ने यह भी निर्देशित किया है कि संबंधित कालेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए और वह परीक्षा दे सकें, इसका पूरा ध्यान रखा जाए।
बताते चलें कि मध्य प्रदेश में नर्सिंग कालेज के नियमों को दरकिनार करते हुए तमाम ऐसे संस्थानों को मान्यता दे दी गई थी, जो मानक तक पूरा नहीं कर रहे थे। मामला संज्ञान में आने पर उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। पता चला कि जांच में शामिल अफसर भी कालेजों का बचाव कर रहे हैं।
इस तरह का तथ्य सामने आने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि इस घोटाले में शामिल सभी अफसरों को बर्खास्त किया जाएगा। 27 मई, 2024 को हुई विभागीय बैठक में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ऐसे सभी 66 नर्सिंग कालेजों को बंद करने के निर्देश दिए हैं, जो अनफिट पाए गए थे। यह सभी कालेज प्रदेश के 31 जनपदों में चलाए जा रहे हैं।
जिन नर्सिंग कालेजों पर बंदी की तलवार लटक रही है, उसमें बैतूल जनपद के आठ, राजधानी भोपाल के छह, इंदौर के पांच, छतरपुर, धार और सिहोर के चार-चार, नर्मदापुरम के तीन, भिंड, छिंदवाड़ा, जबलपुर, झाबुआ, मंडला, रीवा, सिवनी और शहडोल के दो-दो, अलीराजपुर, अनूपपुर, बड़वानी, बुरहानपुर, देवास, ग्वालियर, खंडवा, खरगोन, मुरैना, पन्ना, सागर, टीकमगढ़, उज्जैन, उमरिया, विदिशा और श्योपुर के एक-एक कालेज शामिल हैं।