इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- डेढ़ साल तक कुछ भी नहीं किया, एक जुलाई को होगीअगली सुनवाई
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). हजार करोड़ रुपये से अधिक का फ्राड करने वाली शाइन सिटी कंपनी के प्रकरण में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जांच एजेंसियों को कड़ी फटकार लगाई है। शनिवार को सुनवाई केदौरान अदालत ने ईडी के सहायक निदेशक, ईडब्ल्यूओ के महानिदेशक और सचिव (गृह) से पूछा कि निवेशकों के फंसे धन की बरामदगी क्यों नहीं की गई। डेढ़ साल तक कुछ भी नहीं किया गया।
शाइन सिटी समेत पांच दर्जन कंपनियों द्वारा 1075 करोड़ रुपये के फ्राड में 284 एफआईआर की गई है, जिनकी विवेचना तीन जांच एजेंसियां कर रही हैं। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने श्रीराम राम की याचिका पर सुनवाई करते हुए एजेंसियों को कड़ी फटकार लगाई और कहा, डेढ़ साल तक कुछ भी नहीं किया गया। निवेशकों का फंसे धन की बरामदगी नहीं हुई।
अदालत ने कहा, अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने से हल नहीं निकलने वाला। मुख्य आरोपी अभी भी एजेंसियों की पकड़ से दूर है। बैंकों के जरिए 147 खातों में लेन-देन किया गया है, बावजूद इसके उनकी जांच नहीं कीगई। एसएफआईओ खानापूर्ति करने जुटी है।
अदालत ने कहा, ईडी पर उन्हें भरोसा नहीं रहा और ईडी डायरेक्टर से हलफनामा मांगा है कि विवेचना अप टू मार्क क्यों नहीं है। बैंकों के जरिए ट्रांजेक्शन हो रहे हैं और ईडी आंख मूंदे बैठी है। खाताधारक अपराधी पकड़े नहीं जा रहे।
मालूम हो कि अभियुक्तों ने अवैध रूप से एक वेब कम्पनी बनाई और कई स्कीमें लांच की। निवेशकों के साथ धोखा होने पर एफआईआर दर्ज की गई और विवेचना लचर रही। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप पर कुछ अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया।
शाइन सिटी का मुख्य अभियुक्त राशिद नसीम नेपाल में गिरफ्तारी के बाद छूटते ही दुबई भाग गया। रेड कार्नर नोटिस के बाद भी पकड़ कर लाया नहीं जा सका। अदालत ने ही सीरियस फ्रांड इंवेस्टीगेशन आफिस (एसएफआईओ) व ईडी को विवेचना सौंपी थी। प्रदेश की आपराधिक शाखा भी विवेचना में जुटी है। यह जालसाजी 2018 से 2021 के मध्य अंजाम दी गई थी।
यही नहीं मुख्य अभियुक्त राशिद नसीम जो दुबई में शरण लिए हुए हैं, वह राहत फाउंडेशन व भाव्या ब्राडकास्टिंग कंपनी का ट्रस्टी है। इन कंपनियों की कोई जांच नहीं हुई। आर्थिक अपराध शाखा ने नसीम की पत्नियों को नोटिस जारी करने के बाद कुछ नहीं किया।
अधिवक्ता एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि अभियुक्त अमिताभ श्रीवास्तव वाराणसी जेल में बंद था। बी वारंट पर लखनऊ लाया गया और इस दौरान मोहनलाल गंज में रजिस्ट्रार आफिस में जाकर 30 हजार वर्गमीटर जमीन का बैनामा पूर्व मंत्री को किया। पुलिस की मिलीभगत के बिना ऐसा संभव नहीं था। ऋषभ राज निवेशक के अधिवक्ता ने दुबई का अखबार खलीज टाइम्स पेश कर बताया कि मुख्य अभियुक्त समारोहों में जा रहा है। इस पर कोर्ट नाराज हुई और अधिकारियों को तलब किया था।