SCO Summit की साझा तस्वीर पर Congress ने कसा तंज
नई दिल्ली (the live ink desk). भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित हो रहे शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। वहां पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगठन के अन्य सदस्य देशों के नेताओं के साथ एक साझा तस्वीर ट्वीट की है। यह तस्वीर आठ शीर्ष नेताओं के ग्रुप के साथ क्लिक की गई है। इस तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे दाहिनी ओर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सबसे बाईं ओर खड़े दिखाई दे रहे हैं।
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कांग्रेस पार्टी ने इस फोटो पर तंज कसा है। पार्टी के नेता गौरव गोगोई ने इस तस्वीर पर चुटकी लेते हुए ट्वीटर पर लिखा है विदेश मंत्रालय और पीएम मोदी की ओर से खराब शो। हमारा मजबूत देश सबसे आखिर में खड़ा है और उसे दूसरी छोर पर खड़े पाकिस्तान के साथ संतुलित किया गया है। मुझे लाल आंख नहीं बल्कि बंद आंख दिखाई दे रहा है।
16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का 22वें सम्मेलन में पीएम मोदी ने भारत की धाक जमाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसे मोदी की कूटनीति ही कहा जाएगा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाह नवाज से मोदी ने द्विपक्षीय वार्ता नहीं की। इसके विपरीत रूस के प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन से वन टू वन बात की। भारत की आंतरिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से भी अलग से बात की। असल में एससीओ का गठन आतंकवाद को समाप्त करने और 8 देशों में आपसी सहयोग बढ़ाने का था, लेकिन पूरी दुनिया देख रही है कि चीन और पाकिस्तान आतंकवाद के पर्यायवाची बन गए हैं। दोनों देशों को सबक सिखाने की दृष्टि से मोदी ने इनके राष्ट्राध्यक्षों से बात नहीं की।
यूक्रेन पर हमले के बाद जब अमरीका के आह्वान पर कई देशों ने रूस से तेल खरीदने पर रोक लगा दी, तब भारत ने रूस से तेल खरीदने की हिम्मत दिखाई। भारत को रूस प्रति बैरल पर 30 डॉलर का डिस्काउंट दे रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर ऐसी दिलेरी पीएम मोदी ही दिखा सकते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि रूस से सस्ता तेल खरीदने के बाद भारत, अमरीका का दोस्त बना हुआ है। ईरान के राष्ट्रपति रईसी से भी अलग से बात कर मोदी ने इस बात के संकेत दिए हैं कि भारत की आंतरिक राजनीति पर भी उनकी नजर है। हो सकता है कि जल्द ही रईसी का भारत दौरा हो। पीएम मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर यह दर्शा दिया है कि भारत की नीति स्वतंत्र हैं। भारत अब किसी महाशक्ति के दबाव में काम नहीं कर रहा है।