Puja Pandal पर लाखों खर्च किया लेकिन सुरक्षा पर एक चवन्नी नहीं!
रविवार की रात औराई के पूजा पंडाल में लगी थी भीषण आग, 69 घायलों का इलाज जारी
भदोही (कृष्ण कुमार द्विवेदी). जब भी कोई बड़ा आयोजन किया जाता है तो वहां जुटने वाली भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा के भी तमाम तरह के इंतजाम किए जाते हैं। विभिन्न बिंदुओं पर पड़ताल की जाती है। मसलन, आपात स्थिति में वहां से निकलने के रास्ते, आग लगने पर बचाव के संसाधन समेत भौगोलिक स्थिति का भी मुआयना होता है। अब, बात औराई के पूजा पंडाल में लगे भीषण अग्निकांड की करते हैं। तो, यहां सबसे पहली बात यही है कि यह आयोजन कोई नया नहीं है। वर्षों से इस तरह के पूजा पंडाल लगते आ रहे हैं। भीड़ जुटती रही। आयोजन सकुशल संपन्न होता रहा है। कभी, कुछ नहीं हुआ। इसमें नया क्या है।
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तो, यहां पर नया यही है जो रविवार की रात हुआ। दावानल लपटों ने कई परिवारों को जिंदगी भर की टीस दे दी। अब तक छह घरों में मातम पसर चुका है। किसी के कलेजे का टुकड़ा छिन गया तो किसी के घर का सहारा। अभी भी 69 लोग जीवन-मृत्यु के बीच झूल रहे हैं। क्या, ऐसा आयोजन अगले साल फिर से होगा। जवाब, शायद नहीं में होगा। क्योंकि इस हादसे ने बहुतों को बहुत बड़ी सीख दे दी है। दूसरा सवाल यह कि गलती किसकी है। किसी एक पर इसका ठीकरा फोड़ना अभी उचित नहीं होगा, क्योंकि प्रशासन की तरफ से गठित कमेटी जांच कर रही है, लेकिन इतना तो तय है कि लापरवाही हर स्तर पर की गई होगी। जिस पूजा पंडाल में 150-200 लोगों के जुटने का स्थान हो, वहां पर सुरक्षा के इंतजाम क्यों नहीं किए गए। भीड़ को नियंत्रित करने का भी कोई प्लान नहीं। आपात स्थिति में वहां से जान बचाकर भागने का कोई रास्ता क्यों नहीं बनाया गया। क्यों, इस तरह का पूजा पंडाल डिजाइन किया गया कि संकट के समय निकलकर भागने का भी रास्ता न मिले।
शारदीय नवरात्रि के पहले जिलाधिकारी, एसपी, एसडीएम, सीओ, थाना प्रभारियों और चौकी प्रभारियों ने अपने-अपने इलाके में पीस कमेटी की बैठकें कीं, जिसमें प्रशासन की तरफ से फायर ब्रिगेड को बार-बार ताकीद किया था कि पूजा पंडालों में आग से बचने के उपायों के इंतजाम किए जाएं। इसकी जांच की जाए और पूजा कमेटियों के वालंटियर्स को फायर उपकरणों को चलाने की ट्रेनिंग दी जाए, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। किसी भी पूजा पंडाल में न तो फायर स्ट्रिंगर नजर आए और न ही किसी को चलाने की ट्रेनिंग दी गई।
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सारा फोकस शांति व्यवस्था बनाए रखने पर हुआ। फिलहाल इस तरह के हादसों पर मातम मनाने से ज्यादा जरूरत सीख लेने की होती है। उम्मीद है कि प्रशासनके साथ-साथ जिलेकी पूजा कमेटियां भी इससे सीखेंगी और अगली दफा इस तरह के भारी आयोजन पर सुरक्षा के बिंदुओं का भी ध्यान रखेंगी, ताकि खुशियों के इस पर्वपर कभी किसी के घर में मातमी चीत्कार न सुनाई पड़े।
गौरतलब है कि हादसे के बाद की गई प्राथमिक जांच में यह तथ्य निकलकर सामने आया है कि यह हादसा हैलोजन बल्ब से निकली गर्मी की वजह से ज्वलनशील पदार्थों में आग लगी और आसपास लगे फैन की वजह से आग को गति मिली, जिससे कम समय में ही पूरा पंडाल आग की लपटों में घिर गया।