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PFI Ban in India: भारत में पापुलर फ्रंट आफ इंडिया पर गृह मंत्रालय ने लगाया ताला

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पांच साल के लिए पूरे देशभर में लगाया प्रतिबंध, आदेश जारी

नई दिल्ली (the live ink desk). पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और इससे जुड़े तमाम अनुसांगिक संगठनों पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पाबंदी लगा दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर पीएफआई और इससे जुड़े संगठनों को अवैध संस्था घोषित कर दिया है। पीएफआई और इससे जुड़े संगठनों पर केंद्र सरकार ने पांच साल का प्रतिबंध लगाया है। पीएफआई पर पूरे देश में पाबंदी लगने के बाद इस संगठन की संपत्तियां जप्त कर ली जाएंगी। केंद्र सरकार ने कहा है कि पीएफआई के खिलाफ आतंकवादियों से संबंध और देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा होने की आशंकाओं के बाद इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया गया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश में लिखा गया है कि पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन से संबंधित संस्थाएं और अग्रणी संगठन एक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संगठन के रूप में काम करते हैं। मगर, यह एक गुप्त एजेंडा के तहत समाज के एक विशेष वर्ग को कट्टरवादी बनाकर लोकतंत्र की अवधारणा को कमजोर करने का प्रयास भी करते हैं। इनके सारे काम अनैतिक और अवांछित, देश विरोधी गतिविधियों के दायरे में हैं।

गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा है कि पीएफआई का संबंध बांग्लादेश और भारत के दो ऐसे संगठनों से रहा है जिन पर पहले से ही प्रतिबंध लगा हुआ है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है पीएफआई का संबंध है आतंकवादी संगठन जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश से भी रहा है। पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया यानी सिमी के नेता रहे हैं। यह दोनों ही प्रतिबंधित संगठन हैं।

गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि पीएफआई के वैश्विक आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध के कई उदाहरण हैं। पीएफआई के कुछ सदस्य आईएसआईएस में शामिल हुए और सीरिया, इराक, अफगानिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में भाग ले चुके हैं। पीएफआई के कुछ कॉडर इन देशों के संघर्ष क्षेत्रों में मारे जा चुके हैं। कई कॉडर को राज्य की पुलिस और केंद्रीय पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम 1967 की धारा 3 की उपधारा 1 के तहत पीएफआई से जुड़े संगठन और संस्थाओं को 5 साल के लिए पूरे देश में प्रतिबंधित किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा, पीएफआई ने देश में अशांति गृह युद्ध जैसी चीजें लाने के लिए कई हत्याओं को अंजाम दिया।

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गृह मंत्रालय ने कहा, पीएफआई के पदाधिकारी कॉडर और इससे जुड़े अन्य लोग बैंकिंग चैनल हवाला दान के जरिए सुनियोजित आपराधिक षडयंत्र के तहत भारत के भीतर और बाहर से पैसा एकत्रित कर रहे हैं और फिर धन को वैध दिखाने के लिए कई खातों के माध्यम से उसकी लेयरिंग एकीकरण करते हैं और इस तरह देश में अलग-अलग अपराधिक और गैरकानूनी, आतंकवादी गतिविधियों के लिए इस पैसे का इस्तेमाल करते हैं।

पीएफआई की ओर से उनसे संबंधित कई बैंक खातों में जमा पैसे के स्रोत, खाताधारकों की वित्तीय प्रोफाइल से मेल नहीं खाते और पीएफआई के काम भी उसके घोषित उद्देश्य के अनुसार नहीं पाए गए। इसलिए आयकर विभाग ने आयकर अधिनियम 1961 की धारा 12A के तहत मार्च 2021 में इसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था और इससे जुड़ी संस्था रिहैब इंडिया फाउंडेशन का रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया था।

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2007 में हुआ था पीएफआई का गठनः पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई की स्थापना 17 फरवरी 2007 को हुई थी। यह मूलतः दक्षिण भारत का संगठन माना जाता है। केरल में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (एनडीएफ) तमिलनाडु की मनिथा निथी पसराई और कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी ने 2006 में केरल के कोझिकोड में हुई एक बैठक में तीनों संस्थाओं का विलयकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया बनाने का फैसला किया था। केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक के तीन संगठनों के विलय के दो साल बाद पश्चिमी भारतीय राज्य गोवा, उत्तर के राजस्थान, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर के पांच संगठन पीएफआई में मिल गए।

पीएफआई खुद को भारत का सबसे तेजी से बढ़ने वाला कॉडर बेस्ड जन आंदोलन बताने वाला पीएफआई 23 राज्यों में फैले होने और 400000 सदस्य होने का दवा करता रहा है। गृह मंत्रालय को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने इस संगठन के देश के 23 राज्यों में फैले होने की बात कही थी।

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