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Israel-Hamas war: दोनों तरफ से 1100 से अधिक लोगोंकी मौत, इजरायली सेना के 57 जवान शहीद

The live ink desk. मिडिल ईस्ट में जारी इजरायल (Israel) और फिलिस्तीन (Palestine) के बीच युद्ध में अब तक दोनों तरफ से 1100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। हमास के हमले में 700 से ज्यादा इजरायली नागरिक मारे गए हैं। वहीं इजरायल की जवाबी कार्रवाई में 500 से ज्यादा आतंकवादी ढेर हो गए हैं। इस बीच इजरायल में पूरा विपक्ष प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।

पूर्व प्रधानमंत्री लेपिड ने कहा कि हमने एक युद्ध (Israel-Hamas war) की सरकार बनाने का सुझाव दिया है, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। हम आखिरी सांस तक युद्ध लड़ेंगे। हम सब साथ हैं। इस बीच अमेरिका ने इजरायल को आठ बिलियन अमेरिकी डॉलर देने की घोषणा की है और कहा कि हम जरूरी हथियार भी देंगे। इन सब के बीच इजरायल ने भारत के समर्थन की भी इच्छा जताई है।

उसका कहना है कि भारत अगर आतंकवाद की चुनौती को बखूबी समझता है। भारत में इजरायल के राजपूत नाओर गिलोन ने बीते रविवार को कहा कि उनके देश को भारत से बहुत मजबूत समर्थन की आवश्यकता होगी, क्योंकि भारत एक मजबूत देश है और टेररिज्म की चुनौती को जानता है। राजदूत नाओर गिलोन ने कहा कि हमास के द्वारा इजरायल पर अकारण हमला किया गया, जो हमें अस्वीकार्य है।

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उन्होंने कहा इज़रायल (Israel) इस चुनौती से खुद निपटेगा और अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाएगा। फिलहाल, हमास द्वारा किए गए हमले में 600 लोगों की मौत और 2000 से ज्यादा घायल हुए हैं। इस बारे में फिलिस्तीन अधिकारियों का कहना है कि इजरायल की जवाबी कार्रवाई में गाजा पट्टी में 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।

दूसरी तरफ इजरायल ने यह भी कहा है कि इस हमले में ईरान का हाथ है और उसने ही हथियारों की सप्लाई फिलीस्तीन (Palestine) को की है। इजरायल ने भारत से मिल रहे अभूतपूर्व समर्थन के लिए शुक्रिया कहा  है। कहा कि हम उम्मीद करेंगे की दुनिया के सभी देश इजरायल में बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों की अकारण की गई हत्या की निंदा करेंगे। इस लड़ाई में अब तक इजरायल के 57 सैनिक मारे गए हैं।

इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जारी युद्ध (Israel-Hamas war) के बीच विश्व बिरादरी दो खेमों में बंटती हुई नजर आ रही है। पहले खेमे में पश्चिमी देश, अमेरिका और भारत जैसे मुल्क इजरायल के साथ खड़े हैं। दूसरे खेमे में चीन, रूस, पाकिस्तान, सऊदी अरब जैसे देश हैं। हालांकि ईरान को छोड़कर ज्यादातर मुस्लिम देश खुलकर सामने नहीं आए हैं, लेकिन अंदरखाने वह भी फिलीस्तीन (Palestine) का ही समर्थन कर रहे हैं।

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रविवार को इस युद्ध में लेबनान का आतंकी संगठन हिजबुल्ला भी कूद पड़ा है। उसने इजरायल के कई अहम ठिकानों पर राकेट और मिसाइल से हमले किए हैं। पहले भी आतंकी संगठन हिजबुल्ला इजरायल पर हमला कर चुका है। जानकारों की मानें तो मिडिल ईस्ट में बीते कुछ महीनों से शांति का माहौल था। अमेरिका, सऊदी अरब और इजरायल का संबंध मधुर बनाने में मध्यस्थता कर रहा था। बदले में सऊदी अरब को अमेरिका के साथ बड़ा रक्षा सौदा करने का मौका मिलता और जल्द ही सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, इजरायल (Israel) को मान्यता देने वाले थे।

इससे एक स्वतंत्र फिलीस्तीन (Palestine) की मांग को धक्का लगता, जो ईरान और हमास नहीं चाहते थे। इसीलिए यह हमला किया गया, जिससे शांति प्रक्रिया पटरी से उतर जाए। यदि अमेरिका, इजरायल और सऊदी अरब के बीच रिश्ते मधुर हो जाते तो और  ऐसा होने से फिलिस्तीन और ईरान के हाथ खाली रह जाते और दोनों अलग-थलग पड़ जाते।

फिलहाल, मिडिल ईस्ट में चार प्रमुख ताकतें संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, ईरान और इजरायल हैं। ईरान और सऊदी अरब के संबंध कभी भी मधुर नहीं रहे हैं। कुल मिलाकर मिडिल ईस्ट में 100 साल से भी ज्यादा पुराना इजरायल (Israel) और फिलिस्तीन संघर्ष अब नया रूप लेता दिख रहा है।

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