बरसात में डायरिया का प्रकोपः जानें कारण, लक्षण और बचाव के तरीके
प्रयागराज (राहुल सिंह). बरसात का सीजन वैसे भी संक्रामक बीमारियों का होता है। इन दिनों यमुनापार के कोरांव क्षेत्र में डायरिया के मरीजों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है, जिससे अस्पतालों में भीड़ लग गई है। डायरिया से जानमाल का भी नुकसान हो रहा है। डायरिया यानी दस्त होना एक आम समस्या है, जिसमें मल त्यागने की आवृत्ति बढ़ जाती। मल पतला और पानी जैसा होता है।
सुकृत अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक व एमडी डा. आरके कुशवाहा कहते हैं कि डायरिया (Diarrhea) वजह से शरीर में डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) हो जाता है, यदि समय से इलाज और शरीर को पर्याप्त पानी न मिले तो इंसान की जान भी जा सकती है। डा. आरके कुशवाहा कहते हैं डायरिया होने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे-
- वायरल संक्रमण: वायरस जैसे रोटावायरस, नोरोवायरस और एडेनोवायरस डायरिया का कारण बन सकते हैं।
- बैक्टीरियल संक्रमण: बैक्टीरिया जैसे ई. कोली, साल्मोनेला, शिगेला और कैंपिलोबैक्टर डायरिया का कारण बन सकते हैं।
- खाद्य विषाक्तता: दूषित भोजन या पेय पदार्थों का सेवन करने से डायरिया हो सकता है।
यदि डायरिया की शिकायत हो जाए तो रोगी की पर्याप्त देखभाल व इलाज जरूरी हो जाता है। शुरुआत में ही दवा शुरू कर दी जाए तो बीमारी बहुत जल्दी नियंत्रण में आ जाती है। डायरिया के साथ यदि बुखार आए अथवा चक्कर- कमजोरी रहे तो सावधान हो जाना चाहिए।
शरीर को आवश्यक भोजन एवं पानी नहीं मिलने एवं कीटाणुओं की वजह से खून भी कम होने लगता है। एक बार डायरिया जब पानी की तरह होने लगे अथवा खून मिला हुआ डायरिया हो तो अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ जाती है।
बुखार, चक्कर, कमजोरी आना दर्शाता है कि समस्या बढ़ रही है। यदि साथ में उल्टी भी होने लगे तो स्थिति और गंभीर हो जाती है। उचित इलाज नहीं करने पर धीरे-धीरे ब्लड प्रेशर कम होने लगता है। गुर्दे को नुकसान पहुंचाने लगता है। फल स्वरुप गुर्दा काम करना बंद करने लगता है। ऐसी स्थिति में जीवन पर खतरा उत्पन्न होने लगता है।
सही समय पर उचित इलाज नहीं करने पर गुर्दा हमेशा के लिए खराब हो जाता है। यदि पेशाब बहुत कम हो रही है अथवा छह घंटे से पेशाब नहीं हुई हो तो स्थिति गंभीर मान लेनी चाहिए। लापरवाही की वजह से अक्सर मरीज काफी गंभीर स्थिति में आते हैं। इस वजह से चिकित्सक को इलाज करने में काफी समस्या होती है।
डायरिया की शिकायत होने पर बचाव के लिए इन उपायों को अपनाना नितांत आवश्यक हो जाता है।
- खाना खाने के पहले एवं शौच से आने के बाद हाथ को साबुन से अवश्य साफ करें।
- घर में खाना एवं पानी को ढककर रखें। खाद्य पदार्थ मक्खियों के संपर्क में न आने पाए।
- नाखून छोटा रखें, समय-समय पर हाथ-पैर के नाखून साफ करते रहें।
- विशेषकर बरसात के दिनों में पानी फिल्टर का ही पीएं। रोगी को पानी उबालकर ठंडा कर लें और दें।
- दूषित या खराब हो चुके अथवा बासी भोजन का सेवन किसी भी सूरत में न करें।
- खाना पकाने से पहले हाथ को धोएं और खाने की सामग्री को साफ और स्वच्छ रखें।
- ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें, लेकिन उन्हें पहले अच्छी तरह से धो लें। खाने की चीजों को सुरक्षित और स्वच्छ स्थान पर रखें।
डायरिया होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थो का सेवन करें। यदि जरूरत हो तो भर्ती होकर इलाज कराना ठीक रहता है। उल्टी होने की स्थिति में कभी भी घर पर इलाज न कराएं।
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