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मौनी अमावस्याः तीन दशक बाद बन रहा दुर्लभ संयोग, कुंभ राशि में विराजमान हैं शनिदेव

प्रयागराज (एसपी सिंह). माघ मास की मौनी अमावस्या (Mouni Amavasya) के स्नान पर्व पर इस दफा दुर्लभ संयोग बन रहा है। ऐसा तीस वर्ष बाद हो रहा है। धीमी चाल में चलने वाले शनिदेव एक राशि में ढाई साल रहते हैं। मौजूदा समय में शनिदेव ने राशि परिवर्तन किया है। 17 जनवरी को शनिदेव ने राशि परिवर्तन करते हुए कुंभ राशि में प्रवेश किया है। इसके पहले शनिदेव मकर राशि में विराजमान थे।

ज्योतिषाचार्य पंडित त्रियुगीकांत मिश्र का कहना है कि इस समय सूर्यदेव मकर राशि में मौजूद हैं। उनके साथ शुक्र ग्रह भी मकर में विराजमान हैं। जबकि शनिदेव महज चार दिन पहले ही राशि परिवर्तन करते हुए कुंभ राशि में पहुंच गए हैं। मौनी अमावस्या पर ग्रहों का यह एक दुर्लभ संयोग है। पंडित त्रियुगीकांत मिश्र बताते हैं कि यह त्रिकोण की स्थिति में खप्पर योग का निर्माण कर रही है। जब भी इस प्रकार की ग्रहों की स्थिति बनती तो अलग-अलग प्रकार के योग बनते हैं। मौनी अमावस्या पर हर्षण योग भी बन रहा है, जो 14.35 बजे तक रहने वाला है।

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माघ की मौनी अमावस्या का स्नान पर्व प्रमुख स्नान पर्व के रूप में जाना जाता है। मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और सूर्यदेव की पूजा का विधान है। वैसे तो दान का अपना अलग ही महत्व है। इसे कभी भी कियाजा सकता है, लेकिन विशेष तिथियों पर किए गए दान का महत्व बढ़ जाता है। इसी क्रम में मौनी अमावस्या पर भी गंगा स्नान के साथ दान का विशेष महत्व है।

मौनी अमावस्या पर हरिविष्णु का ध्यान करते हुए पतित पावनी मां गंगा में डुबकी लगाएं और मौन व्रत का संकल्प लें। इसके बाद सफेद वस्त्र पहनकर ब्रह्मांड के नायक सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इस दिन जरूरतमंदों को वस्त्र, कंबल, तेल, गुड़ आदि का दान किया जा सकता है। 21 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन सूर्योदय प्रातः 7.11 बजे और सूर्यास्त 18.7 बजे होगा। दोपहर 12.18 बजे से 13 बजे तक अभिजीत मुहूर्त (शुभ) है। अमावस्या 26.23 बजे तक रहेगी।

 

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