अवध

बहुमुखी प्रतिभा के धनी डा. अरुण कुमार त्रिपाठी सम्मानित

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). बहुमुखी प्रतिभा के धनी डा. अरुण कुमार त्रिपाठी को बीआरसी परिसर में खंड शिक्षा अधिकारी कैलाशपति यादव सहित अनेक शिक्षकों, शिक्षक नेताओं ने सम्मानित किया। डा. अरुण कुमार त्रिपाठी विकास खंड शंकरगढ़ के प्राथमिक विद्यालय कठहा बेनीपुर में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।

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हिंदू धर्म सभा, श्री विष्णु मंदिर बैंकाक (थाईलैंड) के विशेष आमंत्रण पर व्याख्यान देकर स्वदेश लौटने पर डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी को अनेक संस्थाओं ने सम्मानित किया। इसी क्रम में शनिवार को बीआरसी परिसर में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर धर्मेंद्र पांडेय, कल्याणचंद्र द्विवेदी, पद्माकर सिंह, लवलेश त्रिपाठी, विजय सिंह, पुष्पलता सिंह, जेबा तबस्सुम, एआरपी मनोज केसरवानी, अमित सिंह, कमलेश सिंह सहित अनेक अध्यापक थे।

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बीईओ कैलाशपति यादव ने डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी की विलक्षण प्रतिभा की सराहना की। डा. अरुण कुमार एक शिक्षक होने के साथ-साथ लेखक, रेडियो एवं दूरदर्शन पर वार्ताकार, स्क्रिप्ट राइटर और कवि भी हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. त्रिपाठी की सबसे बड़ी विशेषता प्राचीन पांडुलिपियों को आसानी से पढ़ लेना एवं उनका संपादन करना है। डॉ. त्रिपाठी ने अब तक कुल 12 पुस्तकें, 48 शोधपत्र एवं 50 से अधिक लेख लिखे  हैं। उनके लेख विविध पत्र-पत्रिकाओं एवं जर्नल में प्रकाशित हो चुका है। डा. त्रिपाठी की पहली कृति नल विलास परिशीलन हिंदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज ने प्रकाशित किया है। दूसरी कृति संस्कृत वाङ्गमय में भौतिक विज्ञान दिल्ली संस्कृत एकेडेमी से पुरस्कृत रही है जबकि तीसरी कृति कुंभ महापर्व मेला प्राधिकरण प्रयागराज के सहायता से प्रकाशित कराई गई।

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नाथ संप्रदाय के सिद्ध योगी नामक ग्रंथ उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत हुई। इसके पश्चात नवनाथ, कथा नाथ पंथ की, युवाओं के लिए नाथ पंथ और पांच वॉल्यूम में योगी आदित्यनाथ दर्शन, दृष्टि, विचार वाणी प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुई। डा. त्रिपाठी ने एक प्राचीन पांडुलिपि गोरक्ष सहस्त्रनाम को भी संपादित किया। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार ने 75 जनपद का स्वतंत्रता संघर्ष का इतिहास लिखवाया, जिसमें जनपद गोरखपुर, जनपद महाराजगंज और जनपद सिद्धार्थनगर के स्वतंत्रता संघर्ष का इतिहास डॉ. त्रिपाठी ने लिखा। डॉ. त्रिपाठी को अनेक संस्थाओं ने विविध पुरस्कारों से पुरस्कृत  किया है। ये बीआरसी, डायट और प्रदेश स्तर पर अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम में संदर्भदाता के रूप में अनेक प्रशिक्षण दे चुके हैं। इसके अतिरिक्त टेस्ट ऑफ इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत और ब्रिटिश काउंसिल के बीच शिक्षण के लिए माड्यूल तैयार करने में लेखक की भूमिका में रहे हैं।

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