बुवाई और पलेवा के सीजन में सूखी पड़ी नहर
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). गेहूं की बुवाई का सीजन शुरू हो गया है। धान की फसल से खेत खाली होने के बाद ही किसानों ने पलेवा शुरू कर दिया है। बुवाई के लिए किसान यूरिया, डीएपी एकत्र कर रहे हैं। इसके अलावा सरसो, चना, मटर और गेहूं के बीज की खरीदारी कर रहे हैं, लेकिन नहरों में पानी न होने से क्षेत्र में फसल की बुवाई का कार्य बाधित हो रहा है।
यमुनापार के बारा तहसील क्षेत्र में सिंचाई का प्रमुख साधन नहर ही है। किसानों की सुविधा के लिए क्षेत्र में प्रमुख दो नहरें है। पहली टोंस पंप नहर, जो कि गौरा के पास से टोंस नदी से निकाली गई है। दूसरी कमला पंप नहर, जो प्रतापपुर पड़ुआ के पास यमुना नदी से निकाली गई है। मौजूदा समय में दोनों नहरों का संचालन बंद है, जबकि जिला प्रशासन ने पूर्व में हुई बैठकों में समय से नहरों का संचालन करने के लिए आदेशित कर रखा है।
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गेहूं की बुवाई के समय नहरों को बंद कर दिए जाने से किसानों को मजबूरी में निजी साधनों का सहारा लेना पड़ रहा है, जो काफी महंगा पड़ रहा है। बारा, जसरा, कौंधियारा, घूरपुर और शंकरगढ़ में कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां पर निजी साधनों का भी कोई सहारा नहीं है, वहां पर किसान नहर पर ही आश्रित हैं, ऐसे में उन्हे पलेवा के लिए नहर के पानी का इंतजार करना पड़ रहा है।
टोंस पंप नहर से विकास खंड के लोहरा, गन्ने, बांसी, रूम, सुरवल, सोनबरसा, ओसा, ललई, डोमहर, सीध टिकट, तेलंघना सहित दर्जनों गांवों के अलावा करछना क्षेत्र के दर्जनों गांवों की सिंचाई होती हैं। इसी प्रकार कमला पंप नहर से नारीबारी, मौहरिया, गडैया लोनी पार, नेवरिया, सिंहपुर, पहाड़ी, बसदेवा, बढ़ैया, बंधवा, पगुवार, बकुलिहा सहित कई दर्जन गांवों के खेतों को पानी प्राप्त होता है।
अशोक शुक्ल, रमेश, प्रभाकर सिंह, भारत सिंह आदि किसानों का कहना है कि बीते साल भी अक्टूबर-नवंबर महीने में नहर को बंद कर दिया गया था। फिर जनवरी में पानी छोड़ा गया था। कमोवेश यही स्थिति इस वर्ष भी बन गई है। किसानों ने जिला प्रशासन का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया है।