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सीओ जियाउल हक हत्याकांडः 11 साल बाद आए फैसले में दस आरोपी दोषी

दो मार्च, 2013 की रात कुंडा के बलीपुर में हुई थी सीओ समेत तीन की हत्या

प्रतापगढ़ (हरिश्चंद्र यादव). समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में हुई सीओ जियाउल हक (CO Ziaul Haq) हत्याकांड में सीबीआई (CBI) की स्पेशल कोर्ट लखनऊ ने अपना फैसला सुनाया है। इस मामले में दस आरोपियो को दोषी पाया गया है। यह फैसला शुक्रवार (चार सितंबर, 2023) को आया।

CO जियाउल हक की हत्या दो मार्च, 2013 को हुई थी। कुंडा कोतवाली के बलीपुर गांव में लाठी-डंडों से पीटकर और गोली मारकर हुई हत्या के बाद भारी हंगामा हो गया था। कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह और करीबी रबे गुलशन यादव का नाम भी इस प्रकरण में घसीटा गया था। हालांकि, सीबीआई ने उन्हे क्लीन चिट दे दिया था।

सीओ जियाउल हक (CO Ziaul Haq) हत्यकांड की 11 साल चली सुनवाई, जांच-पड़ताल के बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने फूलचंद्र यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, रामलखन गौतम, छोटेलाल यादव, रामआसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल को दोषी पाया है। आरोपी सुधीर को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। अदालत का फैसला आने के बाद सभी आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया।

बताते चलें कि दो मार्च, 2013 की शाम जमीनी विवाद में कुंडा, बलीपुर गांवके प्रधान नन्हे यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद भारी संख्या में प्रधान समर्थकों गांवके ही कामता पाल का मकान घेर लिया और आग लगा दी। जानकारी होते ही तत्कालीन कुंडा सीओ जियाउल हक स्थानीय थानों की फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे।

उग्र भीड़ ने पुलिस कर्मियों को ही घेर लिया। हालांकि, मौका पाकर तमाम पुलिस कर्मी वहां से भाग निकले, लेकिन सीओ जियाउल हक भीड़ के बीच घिर गए। सीओ जियाउल हक स्थिति को संभाल पाते, इसी बीच किसी ने प्रधान नन्हे यादव के भाई सुरेश यादव को गोली मार दी। इसी बीच यह अफवाह उड़ी कि पुलिस ने सुरेश यादव को गोली मार दी है।

इसके बाद भीड़ अराजक हो गई और सीओ जियाउल हक (CO Ziaul Haq) की पीटपीटकर हत्या कर दी। सीओ को गोली भी मारी गई थी। दूसरी तरफ, जब पुलिस कर्मी भागकर सेफ जोन में पहुंचे तो उन्हे सीओ नहीं मिले। तलाश शुरू हुई तो आधी रात सीओ कीलाश प्रधान के मकान के पीछे खड़ंजे पर मिली।

सीओ की पत्नी ने राजा भैया पर दर्ज करवाया था केस

इस तिहरे हत्याकांड के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कुंडा के बलीपुर गांव पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया था। इस मामले में कुल चार मुकदमे दर्ज किए गए थे। सीओ की पत्नी परवीन ने भी एक केस दर्ज करवाया था, जिसमें उन्हे कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह, संजय सिंह, गुलशन यादव, हरिओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह को नामजद किया गया था। हालांकि, सीबीआई की तरफ से राजा भैया और उनके करीबी रहे गुलशन यादव को पहले ही क्लीन चिट दे दी गई है।

क्षेत्राधिकारी को छोड़कर भाग निकले थे पुलिस कर्मी

बलीपुर के प्रधान नन्हे यादव की हत्या की सूचना पर जब सीओ जियाउल हक स्थानीय थानों कीफोर्स के साथ बलीपुर गांव पहुंचे तो वहां स्थिति काफी बेकाबू हो चुकी थी। लोग गुस्से से लाल-पीले हो रहे थे। जैसे ही भीड़ ने पुलिस को देखा तो पुलिस को घेर लिया। मौके की नजाकत को देखते हुए हथिगवां व कुंडा थाने की अधिकारी व सिपाही मौके से भाग निकले। जबकि सीओ भीड़ के बीच फंस गए। यदि सीओ के साथ कुछ अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहते तो शायद यह घटना नहीं होने पाती या घटना का रुख कुछ और होता।

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