अवध

नवजात को संपूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है स्तनपानः मंडलायुक्त

प्रसव के पूर्व अवश्य करवाएं जांच, जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य के लिए जरूरी

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). नवजात मृत्य दर में कमी लाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तैयार की जा रही इंडिया न्यू बार्न एक्शन प्लान के तहत उत्तर प्रदेश में भी यह एक्शन प्लान बनाया जा रहा है। इसी क्रम प्रयागराज में होटल प्लैसिड में मंगलवार को कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। चीफ गेस्ट कमिश्नर डा. विजय विश्वास पंत ने राज्य की दूसरी कार्य़शाला का शुभारंभ किया। यूपीटीएसयू के सहयोग से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश के द्वारा आयोजित वर्कशाप में मंडलायुक्त ने न्यू बार्न एक्शन प्लान बनाने के लिए बधाई दी, साथ ही बुनियादी सेवाओं को मजबूत करने का आदेश दिया।

कमिश्नर ने सभी संस्थागत प्रसव में प्रसव कक्ष में ही स्तनपान (Breastfeeding) शुरू करने एवं इसकी मानीटरिंग पर बल दिया। कहा आशा एवं फ्रंट लाइन कार्यकत्री के साथ नियमित चर्चा कर उनके कार्यों की समीक्षा की जाए।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक (बाल स्वास्थ्य) डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2014 में इंडियन न्यूबार्न एक्शन प्लान शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर नवजात मृत्य दर में शीघ्रता से कमी लाने के लिए नीति का निर्माण करना था। इसी इस नीति का उद्देश्य वर्ष 2030 तक नवजात मृत्यु दर को कम करना है। भारत सरकार द्वारा जुलाई-अगस्त 2022 में चार राज्यों – उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, जम्मू कश्मीर एवं मेघालय के आठ जनपदों में बोटल नेक एनालिसिस किया गया और सितंबर 2022 में भारत सरकार द्वारा गैप एनालिसिस साझा की गई।

महाप्रबंधक ने बताया वर्ष 2014 में प्रदेश की एनएम्आर 32 प्रति 1000 जीवित वर्ष थी, जोकि वर्तमान में घटकर 28 प्रति 1000 जीवित वर्ष हो गई है, परन्तु यह राष्ट्रीय स्तर के एनएम्आर 20 प्रति 1000 जीवित वर्ष से अधिक है।

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लैंसेट आईएसडीबी – आईएचएम्ई की रिपोर्ट के अनुसार जनपद प्रयागराज की नवजात मृत्यु दर 35.2 प्रति 1000 जीवित वर्ष, जो कि राज्य औसत से अधिक है, साथ ही विगत वर्षों में नवजात मृत्यु दर में कमी लाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों के बारे में जानकारी दी गई, जिसके अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं, साथ ही प्रदेश में चलाए जाने वाले कार्यक्रम- पीएमएसएमए, एफबीएनसी, एचबीएनसी, लक्ष्य, मुस्कान आदि की जानकारी दी गई।

अपर निदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) डा. केके वर्मा ने नवजात मृत्यु दर में कमी लाने के लिए इस पहल को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया, साथ ही बताया कि जन्म के प्रथम घंटे में शिशु को स्तनपान सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, इसके लिए प्राइवेट एवं सरकारी दोनों को साथ में प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने प्रसवपूर्व जांच और असमान्य गर्भवती महिलाओं को ट्रैक करने पर जोर दिया।

प्रयागराज में संस्थागत प्रसव में हुई बढ़ोत्तरीः मुख्य चिकित्साधिकारी डा. नानक सरन ने बताया कि जनपद में बाल एवं मातृ सवास्थ्य में जनपद स्तर पर अनेक प्रयास किए जा रहे हैं,  संस्थागत प्रसव में वृद्धि हुई है परन्तु अभी भी प्रसव केंद्रों में गुणवत्ता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। जनपद में फैसिलिटी न्यूबार्न केयर कार्यक्रम के तहत मेडिकल कालेज एवं जनपद महिला चिकित्सालय पर एसएनसीयू, एफआरयू, सीएचसी पर एनबीएसयू और सभी प्रसव कक्षों में न्यूबार्न केयर कार्नर हैं। सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एमएनसीयू बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

हेल्थ विशेषज्ञ डा. कनुप्रिया सिंघल ने गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व देखभाल, प्रसव के दौरान देखभाल, शिशु- जन्म के बाद तुरंत देखभाल, स्वस्थ नवजात शिशु की देखभाल, बीमार नवजात शिशु की देखभाल की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। प्रथम तिमाही में ही गर्भवती महिलाओं को चिन्हित कर प्रसव पूर्व जांच करने की आवश्यकता पर बल दिया। वर्कशाप को डा. रेनू श्रीवास्तव गोयल, संयुक्त निदेशक डा. मंजू रानी, डा. वीके मिश्र ने भी संबोधित किया।

 

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