कुत्तों के हमले में 20 चीतल और एक चिंकारा की मौत, वन विभाग ने दर्ज करवाया मुकदमा
34 साल पहले एमपी बिरला गेस्ट हाउस, झूंसी को दी गई वन्य जीवों के पालन की अनुमति
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). बिड़ला हाउस, झूंसी के निजी कैंपस में यूनिवर्सल केबिल कंपनी लिमिटेड की अभिरक्षा में पाले गए 20 चीतल और एक चिंकारा आवारा कुत्तों के हमले में मौत हो गई। इस मामले में प्रथम दृष्टया वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की सुसंगत धाराओं में मामला पंजीकृत करते हुए अग्रिम जांच की जा रही है। आवारा कुत्तों की वजह से काल कवलित हुए चीतल और चिंकारा के शवों का पोस्टमार्टम तीन डाक्टरों के पैनल द्वारा किया गया।
प्रभागीय निदेशक महावीर कोजलगी ने बताया कि 27 दिसंबर को उक्त घटना के बारे में सूचना प्राप्त हुई थी कि आनंद कानन बिड़ला हाउस, छतनाग, झूंसी में 20 चीतल और एक चिंकारा की आवारा कुत्तों के हमले में मौत हो गई। उक्त सूचना प्राप्त होते ही वन विभाग की टीम तत्काल मौके पर भेजा गया। जांच टीम ने फौरन वहां मृत पड़े चीतल व चिंकारा के शवों को एकत्र कर पोस्टमार्टम के लिए भेज गया।
प्रथम दृष्टया आधा दर्जन से अधिक चीतल की मौत कुत्तों के हमले से हुई प्रतीत हो रही है, जबकि अन्य चीतल के शरीर पर किसी प्रकार के घाव या चोट के निशान नहीं मिले हैं। ऐसे में यह आशंका जाहिर की जार ही है कि अवशेष की मौत कुत्तों की दहशत में हो गई होगी।
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प्रभागीय निदेशक ने बताया कि निजी कंपनी को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों के तहत हिरन पालने की अनुमति 1988 में दी गई थी। उक्त चीतलों की अभिरक्षा और संरक्षण का दायित्व यूनिवर्सल केबिल कंपनी लिमिटेड द्वारा की जा रही थी।
सभी मृत वन्यजीवों का मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा गठित तीन पशु चिकित्साधिकारियों के पैनल से पोस्ट मार्टम कराया गया और विधिवत शवों का निस्तारण कराया गया। उक्त घटना के संबंध में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के सुसंगत धाराओं में मामला पंजीकृत कराया गया है।