पर्यावरण संरक्षण पर सेमिनारः क़ुरआन और हदीस के हवाले से हवा, पानी और जमीन को बचाने की गुजारिश
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). अराकीन अज़ान-ए-अज़ा की ओर से माहे रमज़ान की अट्ठारवीं शब में दीन और नेचर के उनवान से आयोजित सेमिनार में ओलमा व पर्यावरण के जानकारों ने हवा, पानी और उपजाऊ ज़मीन को बचाने की अपील की।
करेली में आयोजित सेमिनार के आयोजक मिर्ज़ा शुजा अब्बास, फ़ैज़ जाफरी, कुमैल जाफर, कामरान रिज़वी, फरमान रिज़वी और हैदर ज़ैदी की पहल पर सभी ने कार्यक्रम के लिए साधुवाद दिया। इंजीनियर अली अब्बास ज़ैदी के संचालन में ऊरुज ग़ाज़ीपुरी, मौलाना इंतेजार आब्दी, मौलाना अलमदार हुसैन व प्रोफेसर कमालउद्दीन अकबर ने क़ुरआन की आयात ए करीमा का तज़केरा करते हुए कहा, सुरा ए रहमान, सुरा ए कौसर में पर्यावरण संरक्षण की मौजूदगी और अल्लाह के पेड़-पौधों, पानी और ज़मीन को आम ज़िंदगी के लिए नेयमत करार देने का ज़िक्र किया गया है।
वक्ताओं ने बताया की हम सबका कर्तव्य है कि हम इन बातों पर ग़ौर ओ फिक्र करें। इंजीनियर अली अब्बास ज़ैदी ने यूनाइटेड स्टेट की और भारत की आबादी के हिसाब से जलदोहन में भारत को अव्वल तो बताया, लेकिन खपत के मामले में जहां एक व्यक्ति पर अमेरिका में तीन सौ लीटर तो भारत में प्रत्येक व्यक्ति पर 135 लीटर खर्च होने की बात कही। कहा कि अभी भी हमें सचेत रहने और पानी के बेजा इस्तेमाल को कैसे रोका जाए, इस पर ग़ौर ओ फिक्र करना होगा।
कहा कि पहले घरों, बग़ीचों व खेतों में चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई देती थी, जो फसल के कीड़े-मकोड़े खाकर हमें शुद्ध ग़िज़ा फराहम कराती थी, लेकिन चिड़ियों के ग़ायब होने पर या इंसानों द्वारा मार दिए जाने के कारण ज़हरीले छिड़काव से तैयार फसल मिलने के कारण तरह-तरह की बीमारियों ने जकड़ रखा है। साफ-सफाई, पेड़ों को अधिक से अधिक लगाने के साथ अल्लाह रसूल और इमामों के द्वारा बताए गए अहकाम पर चलने की भी सेमिनार में नसीहत दी गई।
कार्यक्रम में शिक्षक सैय्यद अज़ादार हुसैन, ज़ाकिर ए अहलेबैत व शिक्षक रज़ा अब्बास ज़ैदी, डाक्टर मीसम ज़ैदी, डाक्टर इशान ज़ैदी, डाक्टर अबरार, जलाल हैदर, हसनैन अख्तर, शायर अनवार अब्बास, अली आला ज़ैदी, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, आसिफ रिज़वी आदि मौजूद रहे।