अवध

प्रतापगढ़ के गौरव थे परमपूज्य स्वामी करपात्री महराजः राजेंद्र मौर्य

सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा मनाई गई 115वीं जयंती, करपात्री महराज को भारत दिलाने की उठी मांग

मनीष सिंह बिसेन

प्रतापगढ़. सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा धर्म सम्राट परम पूज्य स्वामी करपात्रीजी का 115वां जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया। एडवोकेट कृपा शंकर ओझा की अध्यक्षता में रामानुज आश्रम में संत दिवस के रूप में आयोजित समारोह के चीफ गेस्ट विधायक राजेंद्र मौर्य रहे। उन्होंने स्वामीजी के चित्र के समक्ष दीप जलाया और माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया।

विधायक ने कहा कि धर्म सम्राट स्वामी करपात्रीजी ने इस प्रतापगढ़ की पावन धरती पर जन्म लेकर इस धरा को पवित्र किया। परम पूज्य स्वामीजी प्रतापगढ़ के गौरव थे। दशनामी परंपरा के संन्यासी थे। दीक्षा के उपरांत उनका नाम हरिहरानंद सरस्वती पड़ा, किंतु हाथ की अंजुलि के बीच में जितना प्रसाद आता था, उतना ही पाते थे। इसलिए आपका नाम करपात्री पड़ा।

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विधायक ने कहा कि धर्म शास्त्रों में आपकी अति एवं अतुलनीय विद्वता को देखते हुए धर्म सम्राट की उपाधि प्रदान की गई। धर्माचार्य के रूप में स्वामी करपात्री महराजा एक परम तपस्वी महामानव, महान साधक, विचारक, विशिष्ट धर्मवीर और सनातन धर्म के प्रचारक थे। पूरी दुनिया में -धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो और भारत अखंड हो गौ हत्या बंद हो, का उद्घोष देकर सनातन धर्म को उपकृत किया।

धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडेय ने कहा स्वामीजी इस देश की आजादी के लिए वह जेल गए। गो हत्या के विरोध में 1946 और 1947 में अपना जीवन जेलों में बिताया। देश की आजादी के लिए 7 नवंबर 1966 को गोपाष्टमी के दिन दिल्ली में गो हत्या को रोकने के कानून को बनाने के लिए संतों के साथ प्रदर्शन किया। जहां संतों के ऊपर लाठियां बरसाई गईं। मेरठ जेल में कैदियों द्वारा स्वामीजी को पिटवाया गया, जिससे उनकी एक आंख की रोशनी चली गई।

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स्वामी करपात्रीजी ने अनेक ग्रंथों की रचना की, जिसमें से मुख्य रूप से रामायण मीमांसा, रामराज्य और मार्क्सवाद, वेदार्थ, पारिजात विचार, पीयूष पूंजी वाद और समाजवाद आदि अद्भुत ग्रंथ है।

धर्म सम्राट करपात्री जी के चरित्र पर पुस्तक लिखने वाले कवि व साहित्यकार संगमलाल तिवारी व डा. श्यामशंकर शुक्ल को अंगवस्त्रम भेंटकर अधिवक्ता कृपाशंकर ओझा ने सम्मानित किया। साथ ही सर्वसम्मति से धर्म सम्राट स्वामी करपात्रीजी को भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान करने की मांग और सांसद संगम लाल गुप्ता द्वारा इस मामले को लोकसभा में उठाने पर बधाई दी गई।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से भाजपा प्रबुद्ध प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक ओमप्रकाश त्रिपाठी, डॉ श्यामशंकर शुक्ल, संतोष दुबे, दीपक ओझा, देवेंद्र ओझा, गंगा प्रसाद पांडेय, संजय शुक्ल, प्रमोद शुक्ल, जयराम पांडेय, आशीष कुमार मिश्र, कृष्ण कुमार पांडेय, आनंद पांडेय, लक्ष्मीकांत पांडेय, राकेश नारायण दुबे, आचार्य कमलेश त्रिपाठी, पंडित अशोक समेत तमाम लोग मौजूद रहे। अंत में आयोजक ओमप्रकाश पांडेय ने विधायक को मांगपत्र सौंपते हुए स्वामी करपात्री महराज को भारत रत्न दिलाने की मांग की।

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