Fake telephone exchange Exposed: हर छह घंटे पर अपने आप बदल जाते हैं नंबर
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). UPATS की प्रयागराज और वाराणसी की फील्ड इकाई ने धूमनगंज में जिस तरह के फेक टेलीफोन एक्सचेंज का पर्दाफाश (Fake telephone exchange Exposed) किया है, उससे राजस्व का नुकसान तो हो ही रहा था, साथ ही साथ कई अन्य प्रकार से इसके दुरुपयोग की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। सरकार को बिना पता लगे इसके द्वारा हवाला ट्रेडिंग और टेरर फंडिंग की आशंकाओं सेभी इंकार नहीं किया जा सकता।
धूमनगंज से जिस सरफराज अहमद, वाजिद सिद्दीकी और मोहम्मद अमन को गिरफ्तार किया गया है, वह उतने पढ़े-लिखे नहीं है, लेकिन तकनीकी रूप से टेलीफोन एक्सचेंज का सारा काम कर लेते हैं। अभियुक्तणों के द्वारा Putty और tftpd64 जैसे एप्लीकेशन का प्रयोग किया जाता था। इस एप के जरिए ही जालसाज फोन काल्स को सर्वर से कनेक्ट करते थे। बरामद सिम बाक्स बहुत ही अत्याधुनिक हैं, जिसमें प्रत्येक छह-छह घंटे पर स्वतः नंबर बदलते रहते हैं, जबकि सामान्य सिम बाक्स में यह कार्य मैनुअल किया जाता है। इसमें ई-सिम का भी प्रयोग किया जा रहा था। इस प्रकार की देशविरोधी व गैरकानूनी कार्य के लिए मुंबई में बैठे सरगना के द्वारा पूरी सुविधा प्रदान की जाती थी।
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इस फर्जी एक्सचेंज के द्वारा टेलीकॉम गेटवे को बाईपास कर विदेश जाने वाली VOIP (voice over internet protocol) कॉल्स को लोकल काल में बदलकर यह गिरोह बात करवाता था। कानपुर और प्रयागराज से पकड़े गए अवैध टेलीफोन एक्सचेंज से बड़े पैमाने पर हवाला ट्रेडिंग की भी आशंका जताई गई है। UPATS अब मुंबई में बैठकर यूपी में अवैध एक्सचेंज चलाने वाले सरगना की तलाश में है। अब तक की छानबीन में यह पता चला कि मुंबई में बैठने वाले सरगना के द्वारा एनीडेस्क जैसे एप का प्रयोग कर टेलीफोन एक्सचेंज को कंट्रोल किया जा रहा था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सिम बॉक्स कई तरह के होते हैं, जिसमें एक साथ कई सिम लगाकर फोन काल्स की सुविधा प्राप्त की जाती है, इसमें किसी सिम बॉक्स में 64, किसी में 128 और 256 सिम लगाने की सुविधा होती है। अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का इस्तेमाल विदेश में बात करने के लिए सर्वाधिक किया जाता है, क्योंकि ISD कॉल महंगी होती है और फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज के जरिए इस काल को लोकल में बदलकर इस पर लोकल कॉल का चार्ज लिया जाता है।
नियमतः जब भी कोई विदेश में बात करना चाहता है तो कॉलर के नंबर को नियमतः भारत सरकार के टेलीकॉम गेटवे से होकर गुजरना पड़ता है, यानी टेलीकॉम गेटवे से विदेश में होने वाली हर ISD कॉल पर भारत सरकार की नजर होती है। भारत सरकार को पता होता है कि किस नंबर से कहां फोन किया जा रहा है, लेकिन फर्जी एक्सचेंज के जरिए होने वाली काल्स टेलीकॉम गेटवे को बाईपास कर होती है। कॉलर जिस नंबर पर फोन करना चाहता है, सिम बॉक्स के जरिए इंटरनेशनल कॉल को लोकल कॉल के नंबर पर बदलकर कॉल करवाता है। UPATS के चीफ नवीन अरोड़ा का कहना है कि इस सिम बॉक्स के जरिए हो रही बात पूरी गैरकानूनी होती है। यह देश की सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा है।