यौम ए हुसैनः बरसात में भीगते हुए अजादारों ने किया मातम
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). करेली के इबादतखाना अल खिज़रा में नियाज़ हसन की ओर से यौमे हुसैन का आयोजन किया गया, जिसमें आक़िब रिज़वी के संचालन में समद अब्बास नक़वी की तेलावते कलाम ए पाक से मजलिस का आग़ाज़ हुआ। नसीमुल हसन बिसौनवी ने ग़मगीन मर्सिया पढ़ा। औन प्रतापगढ़ी व शहीर रालवी ने पेशख्वानी से माहौल को संजीदा बना दिया।
मौलाना सैय्यद अली अब्बास साहब क़िबला ने शहादत से पहले और शहादत के बाद खानदाने रिसालत पर यज़ीदी लश्कर द्वारा ढाए गए ज़ुल्म ओ सितम का मार्मिक अंदाज में वर्णन किया। खुसूसी नौहाख्वान हैदर रज़ा कोरालवी ने दर्दअंगेज नौहा पढ़ा तो हर आंख नम हो गई। अंजुमन गुंचा ए क़ासिमया बख्शी बाज़ार के नौहाख्वानों शादाब ज़मन, अस्करी अब्बास, ज़हीर अब्बास भैया, कामरान रिज़वी, एजाज़ नक़वी, असद अली, अली रज़ा रिज़वी, अकबर रिज़वी, ज़ीशान, रज़ा, हैदर, कुमैल, शबीह रिज़वी आदि ने पुरदर्द नौहा पढ़ते हुए जुलूस निकाला।
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अंजुमन गुंचा ए क़ासिमया के प्रवक्ता सैय्यद मोहम्मद अस्करी के अनुसार देर रात निकले यौमे हुसैन के जुलूस के इबादतखाना से बाहर आते ही मूसलाधार बारिश होने लगी, लेकिन हुसैन के शैदाइयों के हाथ मातम से न रुके। जैसे-जैसे बारिश तेज़ होती गई, उसी में भीगते हुए अंजुमन गुंचा ए क़ासिमया के नौहाख्वानों ने नौहा पढ़ना जारी रखा, तो मातमदारों ने भी बारिश के पानी से सराबोर होते हुए भी मातम करते रहे।
यौमे हुसैन में बाद मजलिस निकाले गए ताबूत, अलम व ज़ुलजनाह की ज़ियारत को लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। अक़ीदतमंदों ने गुलाब के फूल चढ़ाकर अक़ीदत का इज़हार किया। इसमें प्रमुख रूप से मौलाना मोहम्मद ताहिर, रजा मियां, हैदर अली, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, आसिफ रिजवी, नजमुल हुसैन, जहीर अब्बास नकवी, जामिन हसन, माहे आलम, शजीह अब्बास, छोटे बाबू, मिर्जा दानिश, मिर्जा शीराज, मिर्जा वसमी, आसिफ रजा, हसन टाइगर, फरमान रिज़वी, अमन जायसी आदि शामिल रहे।