अवध

अच्छे लगते हैं हमें यार बरसते बादल…

चाकघाट रामलीला मैदान पर आयोजित कवि सम्मेलन में यूपी और एमपी के कवियों ने सजाई महफिल

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). चाकघाट का रामलीला मैदान सोमवार की रात यूपी और एमपी के नामचीन कवियों के नाम रहा। नीलम मिश्रा की स्मृति में आयोजित 17वें कवि सम्मेलन में कवियों ने जहां सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार किया तो वहीं प्रेम रस की चाशनी में डूबी पंक्तियों के जरिए लोगों के मन को भी छूने की कोशिश की। मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित चाकघाट के रामलीला मैदान में आयोजित कवि सम्मेलन की शुरुआत डा. नीलम मिश्रा नीलम ने मां वीणापाणि की वंदना से की।

उन्होंने अपनी रचना –अच्छे लगते हैं यार बरसते बादल, सुनाकर लोगों के अंतर्मन को छूने की कोशिश की। इसी क्रम में बघेली हास्य कवि के रचनाकार रामसुख सफाया व सुधाकांत बेलाला ने लोगों को खूब गुदगुदाया। गीतकार सुरेश की रचना- हर ओर तिरंगा है…खूब सराही गई।

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कवि विपिन बिहारी तिवारी ने –मन वचन कर्म से एक हो जाइए, ने भी खूब तालियां बटोरी। इसी क्रम में रींवा (मध्यप्रदेश) के कवि सत्येंद्र शक्ल सजग एवं केशरीप्रसाद नंदन का काव्यपाठ सराहा गया। प्रयागराज कोरांव के आलोक ने अपनी रचनाओं के जरिए समाज को कुरेदने की कोशिश की। अंत में संचालक ठाकुर इलाहाबादी ने अपनी रचना- बीवी-बच्चे से ज्यादा जिसको पापा से प्यार है, असली हीरो इस कलयुग में अपना श्रवण कुमार है…के साथ सम्मेलन का समापन कया।

इसके पूर्व चीफ गेस्ट विभव जायसवाल (नगर परिषद चाकघाट) ने कवियों को अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया। आयोजक व्यापार मंडल चाकघाट व संयोजक श्रवण कुमार ने  माल्यार्पण किया। आयोजन की अध्यक्षता रमेशदास ने की। इस मौके पर प्रशांत पाठक, लालजी करवरिया, डा. प्रभाकर सिंह राजू, इंजीनियर अंत में श्रवण कुमार ठाकुर ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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