अहेतुकी भक्ति से ही ईश्वर की सहज प्राप्ति संभवः शुभम महाराज
भदोही (कृष्ण कुमार द्विवेदी). मोढ़ क्षेत्र के सराय छत्रशाह गांव में पंडित ओम प्रकाश दुबे के यहां आयोजित संगीतमय भागवत कथा के द्वितीय दिन धाम वृंदावन से पधारे शुभम महाराज ने व्यासपीठ से अमर कथा एवं शुकदेव के जन्म प्रसंग की विस्तार से व्याख्या की। शुभम महराज ने कहा, सभी मानव सिर्फ लाभ-हानि के प्रपंच में फंसे हुए हैं। शुकदेवजी गर्भ से बाहर नहीं आ रहे थे तो व्यासजी ने कहा, पुत्र बाहर आओ, आपको मोह माया बाधित नहीं करेगी। तब जैसे ही शुकदेवजी का जन्म हुआ, वैसे ही भजन करते हुए परमहंस की तरह वन को चल दिए।
महाराज ने उपस्थित लोगों से कहा कि भक्ति करनी है तो अहेतुकी भक्ति करें, तो निश्चित ही कल्याण होगा। आज भक्ति तो व्यापारी के तरह की जा रही है, जो मानव सद्मार्ग से भटकाती है। वैराग्य पर बोलते हुए कहा कि घर में रहकर भौतिक आशक्ति से दूर होना भी वैराग्य है। मीरा महारानी ने महल में रहकर गिरधर गोपाल की भक्ति की और अमर हो गईं, क्योंकि माधव का चिंतन करने वाला माया से पृथक हो जाता है।
इसी तरह मीरा को लोकेष्णा की चाह नहीं रही और ठाकुरजी की अहेतुकी कृपा पात्र बन गईं। महाराज ने तुलसी कृत श्रीरामचरित की एक चौपाई पर विवाद करने वालों के लिए कहा कि ताड़न शब्द का मतलब शिक्षा से है। महाराजजी ने कहा कि अपने देव, अपने ग्रंथ का सम्मान हर सनातनी को करना चाहिए। कथा में भाजपा राष्ट्रीय परिषद सदस्य एवं पूर्व सांसद भदोही पंडित गोरखनाथ पांडेय ने व्यासपीठ से महाराज का आशीर्वाद लिया और कथा विश्राम पर भागवतजी की आरती उतारी। इस अवसर पर रवि उपाध्याय, राम नारायण दुबे पूर्व नगर सेवक, सुरेंद्र दुबे, इंद्रमणि दुबे, अशोक दुबे, नीरज दुबे, डा. प्रेमदत्त दुबे, श्यामधर पांडेय, प्रभात दुबे, आकाश दुबे, दिव्यांशु दुबे, धनवंती देवी, लालमनि देवी, ऊषा आदि मौजूद रहीं।