पूर्वांचल

सीतामढ़ी में हुई थी आदि काव्य रामायण की रचनाः मुन्ना पांडेय

लवकुश इंटर कालेज में मनाई गई महर्षि वाल्मीकि की जयंती

भदोही. जान बाहुस्य विशाल नेत्रम, कवइश्वरओ श्रेष्ठ तपस्वीनामच। यो आदि काव्यस महा प्ररेणता तम वाल्मीकि शिरसा नमामि।। शनिवार को लवकुश इंटर कालेज सीतामढ़ी में आदि कवि की जयंती पर महर्षि वाल्मीकि के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर उनके जीवन पर प्रकाश डाला गया।

अखिल भारतीय राष्ट्रीय रामायण मेला के अध्यक्ष मुन्ना पांडेय ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि का मूल आश्रम सीतामढ़ी ही है। यहां विशाल गुरूकुल था, जिसमें शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा दी जाती थी। इसकी अनेक शाखाएं देश-विदेश में फैली थी। वाल्मीकि मंदिर के महंत पंडित हौसिला प्रसाद मिश्र ने कहा कि आदि काव्य रामायण की रचना इसी आश्रम में हुई थी।

द्वितीय निर्वासन में जनकदुलारी माता सीता ने यहीं निवास किया था। यहीं पर लव-कुश कुमारों का जन्म हुआ था। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से महेश मिश्र, श्याम किशोर मिश्र, मनोज चौबे, धमेंद्र सिंह, प्रधान नारेपार सीतामढ़ी, दिनेश सिंह, विद्याधर चौबे, मनोज, ज्ञानेंद्र कुमार मिश्र सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहीं।

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